कुंदन कुमार, पटना। बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी पहले से और तेज हो चुकी है। जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर लगातार विपक्ष के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए हमलावर हैं। कल सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पीके ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर 1999 के चर्चित शिल्पी गौतम हत्याकांड में अभियुक्त होने का आरोप लगाया था। वहीं, आज मंगलवार को जन सुराज ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह पत्र जन सुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह (पप्पू सिंह) ने लिखा है। उदय सिंह ने आरोप लगाया है कि सम्राट चौधरी ने लौना परसा नरसंहार मामले में गलत दस्तावेज प्रस्तुत कर खुद को नाबालिग बताया था, जिसके आधार पर उन्हें जेल से रिहाई मिली।

पत्र में कहा गया है कि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार सम्राट लौना परसा नरसंहार केस के आरोपी थे, जिसमें कांग्रेस नेता सच्चिदानंद सिंह और कुशवाहा समुदाय के 6 लोगों की हत्या हुई थी। इस केस में सम्राट चौधरी जेल भी गए थे। उनकी जमानत याचिका दो बार खारिज हुई, फिर उन्होंने मेट्रिक के प्रवेश पत्र के आधार पर खुद को नाबालिग बताकर रिहाई ले ली थी।

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार सम्राट चौधरी का नाम 28 मार्च 1995 को हुए लौना परसा नरसंहार (केस संख्या 44/1995, थाना तारापुर) में अभियुक्त के रूप में दर्ज है, जिसमें कुशवाहा समुदाय के छह लोगों की हत्या हुई थी। इस मामले में सम्राट चौधरी सहित छह अन्य अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। वे कई महीनों तक जेल में रहे, उनकी जमानत दो बार खारिज हुई थी। उन्होंने मैट्रिक के प्रवेश पत्र के आधार पर अपनी उम्र 15 वर्ष साबित की और नाबालिग का दर्जा पाकर रिहा हो गए।

उदय सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि सम्राट चौधरी ने बाद के चुनावी हलफनार्मी में अपना जन्म वर्ष 1969 बताया, जिससे 2020 में उनकी उम्र 51 वर्ष हो जाती है। इससे यह स्पष्ट है कि सन 1995 में उनकी उम्र 26 वर्ष थी, यानी वे नाबालिग नहीं थे। यह विरोधाभास इरा बात का भी संकेत है कि गलत डॉक्यूमेंट पेश कर उनकी जेल से रिहाई कराई गई और एक गंभीर अपराध से बचने का प्रयास हुआ।

उन्होंने कहा कि, इस प्रकार के व्यक्ति का उच्च पद पर बना रहना न केवल शासन की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि कानून के राज और लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास भी कम करता है। इसलिए पीक्ष्म, सम्राट चौधरी को तत्काल मंत्री पद से बर्खास्त करें और कानून को अपना स्वाभाविक गार्ग अपनाने दें ताकि इस नरसंहार के पीड़ितों को न्याय मिल सके।

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