Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का पर्व रात 12 बजे बाल गोपाल के जन्म की रस्म निभाई जाती है. खास बात यह है कि जन्माष्टमी पर खीरे से भगवान कृष्ण का जन्म कराना शुभ माना गया है. हिंदू परंपरा के अनुसार खीरा मां देवकी की कोख का प्रतीक है. पूजा के दौरान खीरे को काटकर उसमें से बाल गोपाल की मूर्ति या शिशु स्वरूप निकाला जाता है. इसे भगवान कृष्ण के जन्म की प्रतीकात्मक रस्म माना जाता है. मान्यता है कि इस विधि से पूजा करने पर संतान सुख, घर में सुख-समृद्धि और हर संकट से रक्षा मिलती है.
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Janmashtami 2025
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पूजा विधि
जन्माष्टमी पर व्रत करने वाले भक्त दिनभर निर्जला रहते हैं. रात 12 बजे भगवान कृष्ण की आरती और जन्मोत्सव मनाया जाता है. पहले घर या मंदिर को फूलों और झूले से सजाया जाता है. फिर भगवान विष्णु, माता देवकी और वासुदेव की पूजा होती है. खीरे से जन्म कराने के बाद बाल गोपाल को झूले में विराजित कर आरती उतारी जाती है और भक्तों में प्रसाद बांटा जाता है.
शुभ मुहूर्त
इस वर्ष जन्माष्टमी की अष्टमी तिथि 15 अगस्त से शुरू हो चुकी है. निशिता काल का मुहूर्त रात 12.4 बजे से 12.45 बजे भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और जन्मोत्सव का सबसे शुभ समय माना गया है.
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