रायपुर/ नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ में राजभाषा तो बन गया है, लेकिन अभी तक पढ़ाई-लिखाई या सरकारी काम-काज की भाषा नहीं बन सका है। इसे लेकर राज्य बनने के साथ बीते 17 सालों लगातर प्रदेश के भीतर आंदोलन चल रहा है। और आंदोलन की इसी कड़ी में अब गर्जना दिल्ली में हो रही है। भारत की राजधानी में दिल्ली में छत्तीसगढ़ियों की आवाज छत्तीसगढ़ी भाषा के साथ गूंजने जा रही है।
19 जुलाई को जंतर-मंतर में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना की महिलाएं, अध्यक्ष लता राठौर, छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के संयोजक और संघ के पूर्व प्रचारक नंदकिशोर शुक्ल , प्रसिद्ध रंगोली आर्टिस्ट प्रमोद साहू, प्रत्रकार अक्षय दुबे सहित बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ी आंदोलनकारी प्रदर्शन करने जा रहे हैं।
नंदकिशोर शुक्ल और लता राठौर ने कहा कि छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बने 17 साल औ छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बने 9 साल हो गए हैं। लेकिन राज्य सरकार ना तो छत्तीसगढ़ी प्राथमिक शिक्षा दे रही है और ना ही सरकारी काम-काज में छत्तीसगढ़ी भाषा का इस्तेमाल हो रहा है। छत्तीसगढ़ी अपने ही राज्य छत्तीसगढ़ में उपेक्षित है। छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की दिशा में भी सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हो रही है।
लिहाजा वे अपनी मातृभाषा के लिए, छत्तीसढ़ियों के हक-अधिकार के लिए दिल्ली में जंतर-मंतर में प्रदर्शन कर आवाज बूलंद करेंगे। केन्द्र सरकार को ज्ञापन सौंपकर छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग करेंगे।