नई दिल्ली। जापान दो महीने के अंदर ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है. लेकिन इसी बीच ओसाका शहर में कोरोना का संक्रमण बेकाबू हो चुका है. संक्रमण की वजह से ओसाका के अस्पतालों में बेड की भारी किल्लत हो गई है. मरीजों को वेंटिलेटर के लिए भी जूझना पड़ रहा है. तेजी से फैलते संक्रमण की वजह से ओलंपिक खेलों पर भी खतरा मंडरा रहा है. वहीं कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों और गृह विभाग ने अपने नागरिकों को जापान और श्रीलंका न जाने की सलाह दी है. श्रीलंका में भी कोरोना के केस तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
अमेरिकी नागरिकों को जापान की यात्रा करने से प्रतिबंधित नहीं किया गया है, लेकिन इससे यात्रियों की बीमा दरों पर असर पड़ सकता है. इससे खिलाड़ी जुलाई में शुरू होने वाले ओलंपिक खेलों में भाग लेने पर पुनर्विचार कर सकते हैं.
अटलांटा स्थित रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र ने सोमवार को कोरोना से संबंधित नये दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि ‘यात्रियों को जापान की यात्रा करने से बचना चाहिए. जापान की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यहां तक कि सभी टीके लेने वाले यात्रियों से भी कोविड के अलग-अलग प्रकारों के संक्रमण का खतरा पैदा हो सकता है.’
जापान में कोरोना की वजह से हुई कुल मौतों में करीब 30 प्रतिशत मौतें ओसाका प्रांत में ही हुई है. जबकि इस प्रांत में पूरे देश की सिर्फ 7 आबादी रहती है. बीते सप्ताह में गुरुवार के दिन ओसाका में 3,849 नए मामले दर्ज किये गए जो पिछले दिनों की तुलना में काफी हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ओसाका के अस्पतालों में करीब 4 फीसदी बेड ही खाली है. तेजी से बढ़ते मामलों की वजह से कई अस्पतालों में दवाइयों के स्टॉक भी ख़त्म हो चुके हैं. कई अस्पताल वेंटिलेटर की कमी से भी जूझ रहे हैं.
डॉक्टरों के अनुसार तेजी से बढ़ते मामलों की वजह से ओसाका की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. साथ ही डॉक्टरों ने जुलाई में होने वाले ओलंपिक खेलों को टालने की सलाह दी है.
जापान के टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों को लेकर स्थानीय नागरिक काफी गुस्से में हैं. जापानी नागरिक सरकार से खेलों को टालने की मांग कर रहे हैं. वहीं ओलंपिक खेलों को टालने से जापान को भारी नुकसान हो सकता है.
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