सत्या राजपूत, रायपुर। राष्ट्रीय आम महोत्सव में एक आम जिसने हर किसी का ध्यान खींचा वो है मियाजाकी. इसका उत्पादन जापान में होता है, जिसकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 2 लाख 70 हजार रुपए प्रति किलो है. मियाजाकी आम का वजन करीब 350 ग्राम होता है. कापोरेट वर्ल्ड में इसका उपयोग भेंट करने में ज्यादा होता है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, छत्तीसगढ़ शासन तथा प्रकृति की ओर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में 12 से 14 जून तक आमों की प्रदर्शनी लगाई गई है.
इंदिरा गांधी कृषि विवि के कुलपति गिरीश चंदेल ने बताया कि राष्ट्रीय आम महोत्सव में आम की 325 से ज्यादा किस्में प्रदर्शनी में लगाई गई है. महोत्सव में सुगंधित और रसीले आम भी, जिसे प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्रों से और देश के विभिन्न हिस्सों से लाया गया है. विदेशी आमों को देखने और स्वाद लेने राजधानीवासी प्रदर्शनी में आ रहे हैं. आमों के महोत्सव में दशहरी, लंगड़ा, हापुस, केशर, नीलम, चौसा, माल्दा, फजली, सुंदरजा, नूरजहां, हिमसागर, बॉम्बे ग्रीन, गुलाब खास, जंबो रेड, अल्फांजो, कोकोनट क्रीम, बैगनफली जैसे अन्य देसी किस्मों के आम शामिल हैं. इसके अलावा मियाजाकी, थाई बनाना, रैड पामर जैसी आम की विदेशी किस्में भी शामिल हैं.
प्रदर्शनी में हाथीझूल किस्म की आम ने लोगों का आकर्षण खींचा. यह सामान्य आम से लगभग 5 गुना बड़ा होता है. इस किस्म के एक आम का वजन ही लगभग तीन किलो तक होता है. इसका उत्पादन ज्यादातर बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर में होता है. इसकी कीमत 150 से 200 रूपये प्रति किलो होती है. इसके अतिरिक्त आम की अनेक देशी किस्मों को भी प्रदर्शित किया गया है.
राष्ट्रीय आम महोत्सव में निर्मित सेल्फी जोन युवाओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है. राष्ट्रीय आम महोत्सव में 56 प्रकार के आम से बने व्यंजनों की भी प्रदर्शनी लगाई गई है. इनमें आम सेवई, आम मिलेट खीर, आम मफिन्नस, आम-नारियल का लड्डू, आम पापड़, आम का आचार, आम का कराची हल्वा, कुल्फी, फिरनी, चटनी, लौंजी, कैंडी, आम-साबूदाना की खीर आदि व्यंजन बनाए गए हैं. सजावट प्रतियोगिता में छात्रों ने आम को रोबोट, फूल, घड़ी आदि के रूप में सजाया गया है. कुकिंग प्रतियोगिता में महिला प्रतिभागियों ने आम से कैरी, कटलेट और मैंगो पुडिंग सहित अन्य व्यंजन बनाए.
कुलपति चंदेल ने बताया कि आम की प्रदर्शनी का उद्देश्य प्रदेश में आम की खेती को बढ़ावा देना है. इसके लिए कृषि वैज्ञानिक किसानों को प्रदर्शनी में आम की खेती के बारे में जानकारी भी दे रहे हैं.
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