Jaya Sinha First woman who become a Chairman of Railway Board: मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ के रूप में जया वर्मा सिन्हा की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. सिन्हा नए अध्यक्ष और सीईओ (रेलवे बोर्ड) के रूप में अनिल कुमार लाहोटी की जगह लेंगी और आज 1 सितंबर, 2023 को पदभार ग्रहण करेंगी. वह रेलवे बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष भी हैं. विजयलक्ष्मी विश्वनाथन रेलवे बोर्ड की पहली महिला सदस्य थीं.

1988 बैच के रेलवे यातायात सेवा की अधिकारी 1988 बैच की भारतीय रेलवे यातायात सेवा की अधिकारी, सिन्हा वर्तमान में रेलवे बोर्ड के सदस्य (संचालन और व्यवसाय विकास) के रूप में काम कर रही हैं.

  वह ऐसे समय में बोर्ड का प्रभार संभालेंगी जब भारतीय रेलवे को केंद्र सरकार से रिकॉर्ड बजटीय आवंटन प्राप्त हुआ है. केंद्रीय बजट 2023-24 में भारतीय रेलवे को 2.74 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत परिव्यय आवंटित किया गया है. यह राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर को किया गया अब तक का सबसे अधिक आवंटन है. वित्त वर्ष 2022-23 में रेलवे के लिए 1.37 लाख करोड़ रुपये का सकल बजटीय आवंटन किया गया था.

संगम नगरी की हैं रेलवे बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष जया वर्मा

जया वर्मा सिन्हा का संगम नगरी से गहरा रिश्ता रहा. प्रयागराज में ही उनका जन्म हुआ. स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातक एवं परास्नातक भी उन्होंने प्रयागराज से ही किया. उनके पिता बीबी वर्मा सीएजी ऑफिस में क्लास वन अफसर रहे. इसी तरह उनके बड़े भाई जयदीप वर्मा भी यूपी रोडवेज में क्लास वन अफसर रहे. सेवानिवृत्त होने के बाद फिलहाल वह लखनऊ में ही अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. प्रयागराज में जन्मी जया का पैतृक निवास अल्लापुर स्थित बाघम्बरी हाउसिंग स्कीम में है. बचपन से ही मेघावी रही जया की स्कूली शिक्षा सेंट मेरी कान्वेंट इंटर कालेज से हुई. उसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी (पीसीएम) की. उन्होंने परास्नातक की पढ़ाई भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही की. यहां से उन्होंने मनोविज्ञान से परास्नातक किया.

कानपुर सेंट्रल से की थी नौकरी की शुरुआत

जया वर्मा ट्रेनिंग के बाद 1990 में कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर सहायक वाणिज्य प्रबंधक (एसीएम) बनीं. खास बात यह रही कि डेढ़ साल के उनके कार्यकाल के दौरान कभी कर्मचारियों को आंदोलन नहीं करना पड़ा. उस समय सेंट्रल पर चीफ ऑपरेटिंग सुपरवाइजर (सीओएस) रहे जेबी सिंह यूनियन नेता भी थे. वे बताते हैं कि जया वर्मा हर कर्मचारी की समस्याएं सुनती थीं. यथा संभव उनका समाधान भी कराती थीं. इस वजह से उन लोगों को कभी आंदोलन करने की जरूरत ही नहीं पड़ी.