रायपुर-  सूबे की सियासत की ये सबसे चौकाने वाली तस्वीर है. कल तक छत्तीसगढ की राजनीति के दो बड़े केंद्र रहे भूपेश बघेल और अजीत जोगी की राजनीतिक दुश्मनी की खबरें जितनी चर्चाओं में रहीं है, उतनी ही चर्चा आज दोनों की मुलाकात की होती रहीं. दरअसल भूपेश बघेल प्रदेश सियासत का सबसे बड़ा चेहरा बन गए हैं, ऐसे में दुश्मनी की सीमाओं को लांघकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री बन चुके भूपेश बघेल से सपरिवार मुलाकात की है. यह मुलाकात बिलासपुर के छत्तीसगढ़ भवन में हुई. राजनीतिक विश्लेषक भले ही इस मुलाकात को सामान्य शिष्टाचार करार दे रहे हैं, लेकिन इस मुलाकात के कई सियासी मायने भी ढूंढे जा रहे हैं.

हालांकि इस मुलाकात के दौरान अजीत जोगी ने भूपेश बघेल को सरकार बनाने के लिए जहां धन्यवाद दिया, वहीं उन्होंने पेंड्रा को जिला बनाए जाने की मांग भी रखी. इस दौरान अजीत जोगी की पत्नी और कोटा विधायक रेणु जोगी, लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह और अमित जोगी भी मौजूद रहे.

5 मिनट की मुलाकात में क्या रिश्तों में जमी बर्फ पिघलेगी?

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने के लिए जोगी परिवार को छत्तीसगढ़ भवन में एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा. जोगी परिवार जिस वक्त इंतजार कर रहा था, ठीक उस वक्त मुख्यमंत्री कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अजीत जोगी की मंच से आलोचना कर रहे थे. बघेल ने नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोग गठबंधन के जरिए किंगमेकर बनने का सपना देख रहे थे. सोच रहे थे कि सत्ता की मलाई खाएंगे. हालांकि मुख्यमंत्री बघेल की इन टिप्पणियों पर अजीत जोगी ने कहा कि राजनीति में यह सब चलता रहता है. वह उनका मंच था, इसलिए आरोप लगा रहे थे. हम हमारे मंच से आरोप लगाएंगे. विधानसभा में हम मुद्दों के जरिए सरकार पर सवाल खड़े करेंगे.

इधर भूपेश-जोगी की मुलाकात महज पांच मिनट में ही सिमट गई. इस मुलाकात के दौरान भूपेश बघेल कमरे में दाखिल हुए. धर्मजीत सिंह और अमित जोगी ने उन्हें गुलदस्ता भेंट करते हुए पैर छूकर आशीर्वाद लिया और इसके बाद अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री को बधाई दी. इस दौरान ही उन्होंने पेंड्रा को जिला बनाए जाने की मांग भी उठाई.

भूपेश-जोगी की इस मुलाकात पर मौजूं है बशीर बद्र की यह शायरी-

कल तक जिस भूपेश बघेल पर जोगी कुनबा लगातार राजनीतिक हमला करता रहा, वही भूपेश आज प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. कांग्रेस में जोगी के वर्चस्व को धकियाते हुए अपने आक्रामक अंदाज में भूपेश संगठन को मजबूत करने में जुटे रहे. राज्य की सियासत के हालात बदले और कांग्रेस ने 15 साल का वनवास खत्म किया. भूपेश बघेल का राजनीतिक कौशल ही था, जिसने उन्हें सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाया, ऐसे में लाजिमी है कि रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने अजीत जोगी की यह महज एक कोशिश है. इस पूरी तस्वीर के बीच बशीर बद्र की यह शायरी पर नजर डालनी भी जरूरी है.-

दुश्मनी जमकर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे

जब कभी हम दोस्त हो जाएं, तो शर्मिंदा न हों