रिपोर्टर कुंदन कुमार/ कैमरामैन/ गौरव कुमार/ पटना। बिहार की राजनीति में सीट बंटवारे को लेकर जारी खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास के बाहर मंगलवार को बड़ी संख्या में जदयू नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटी। सभी का मकसद एक ही है अपनी नाराजगी और शिकायत सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचाना।जदयू विधायक गोपाल मंडल अक्सर अपने बयानों और तेवरों के लिए सुर्खियों में रहते हैं, इस बार मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री खुद उनसे मुलाकात नहीं करते वे धरना खत्म नहीं करेंगे। मंडल का आरोप है कि पार्टी में टिकट वितरण में मनमानी की जा रही है और वास्तविक कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है।
बांका से आए नेताओं की नाराजगी
बांका जिले से आए जदयू नेताओं ने भी टिकट बंटवारे को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है। उनका साफ कहना है कि जिले में गलत तरीके से टिकट दिया गया है जिससे पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है। उनका आरोप है कि संजय झा, ललन सिंह और विजय चौधरी जैसे वरिष्ठ नेता अपने करीबी लोगों को टिकट दिलाने में लगे हैं, जबकि जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है।
पटना से आए कार्यकर्ता बोले
पटना जिले से आए एक जदयू कार्यकर्ता ने तो यहां तक कह दिया कि अब समय आ गया है कि नीतीश कुमार बीजेपी से नाता तोड़ें और तेजस्वी यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़ें। कार्यकर्ता का तर्क है कि जनता का मूड महागठबंधन के पक्ष में है और एनडीए के साथ रहना पार्टी को कमजोर कर रहा है।
आवास के अंदर चल रही है रणनीति बैठक
जहां एक ओर बाहर नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ है वहीं अंदर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने भरोसेमंद नेताओं के साथ रणनीति बनाने में जुटे हैं।सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार खुद सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में चल रही खींचतान से नाखुश हैं और इसी मुद्दे पर विचार-विमर्श चल रहा है।
सीट बंटवारे पर नाराजगी हुई सार्वजनिक
अब तक जो नाराजगी बंद दरवाजों के पीछे रहती थी, वह अब खुले रूप में सामने आ गई है। कार्यकर्ता और नेता दोनों ही इस बात को लेकर मुखर हैं कि अगर जल्द कोई समाधान नहीं निकला तो इसका असर जदयू की चुनावी संभावनाओं पर पड़ सकता है।
क्या नीतीश फिर पलटी मारेंगे?
नीतीश कुमार की राजनीतिक शैली को देखते हुए अब यह सवाल फिर उठने लगा है कि क्या वे एक बार फिर बीजेपी से नाता तोड़ेंगे क्या जदयू महागठबंधन में वापसी करेगा? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों की रणनीतिक बैठकों से मिल सकते हैं।
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