अविनाश श्रीवास्तव/सासाराम। रोहतास जिले में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अंदर उठ रहे असंतोष के सुर अब तेज हो चुके हैं। जिलाध्यक्ष अजय कुशवाहा के इस्तीफे के बाद पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है। अब प्रदेश सचिव बद्री भगत ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। अपने समर्थकों के साथ वे पटना स्थित पार्टी मुख्यालय पहुंचे और औपचारिक तौर पर इस्तीफा सौंपा।

टिकट नहीं मिलने पर भड़के बद्री

भगत ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि उन्हें करगहर विधानसभा सीट से टिकट देने का भरोसा दिलाया गया था। वे कई महीनों से क्षेत्र में सक्रिय थे और बूथ स्तर तक जनसंपर्क अभियान चला रहे थे। मैंने सभी मतदान केंद्रों पर अपनी कमेटी बनाई थी, दिन-रात मेहनत की। लेकिन पार्टी ने मुझ पर भरोसा नहीं जताया। यह मेरे साथ अन्याय है

30 वर्षों की निष्ठा का मिला ऐसा इनाम

अपने इस्तीफे की वजह बताते हुए बद्री भगत भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि वे पिछले तीन दशकों से नीतीश कुमार के साथ खड़े रहे। जब लोग साथ छोड़ते थे तब मैं पार्टी के साथ था। आज जब मेरा समय आया तो मुझे दरकिनार कर दिया गया। भगत ने यह भी इशारा किया कि वे जल्द ही अपनी अगली राजनीतिक रणनीति का ऐलान कर सकते हैं।

प्रदेश सचिव का इस्तीफा, पार्टी में हड़कंप

जदयू के लिए यह घटनाक्रम बेहद चिंताजनक है। पहले ही रोहतास जिला अध्यक्ष अजय कुशवाहा के इस्तीफे से संगठन में असंतोष की खबरें सामने आ रही थीं और अब बद्री भगत जैसे पुराने नेता का जाना पार्टी के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि टिकट वितरण को लेकर पार्टी में अंदरूनी खींचतान तेज हो गई है।

क्या होगा जदयू का अगला कदम?

फिलहाल जदयू की ओर से इस घटनाक्रम पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। मगर यह तय है कि पार्टी नेतृत्व पर दबाव बढ़ता जा रहा है। रोहतास जैसे महत्वपूर्ण जिले में लगातार इस्तीफे इस ओर इशारा कर रहे हैं कि सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। आने वाले दिनों में और भी नेता असंतोष जाहिर कर सकते हैं।

राजनीतिक भविष्य पर अटकलें तेज

बद्री भगत के इस्तीफे के बाद यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि वे किसी अन्य दल का दामन थाम सकते हैं या निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उनके समर्थकों की संख्या और जमीनी पकड़ को देखते हुए उन्हें हल्के में लेना जदयू के लिए नुकसानदायक हो सकता है।