वीरेंद्र कुमार/ नालंदा। बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की आहट तेज हो रही है, वैसे-वैसे जदयू के अंदरूनी हालात भी गर्माते जा रहे हैं। हरनौत के बाद अब नालंदा जिले के अस्थावां विधानसभा क्षेत्र में भी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच खींचतान सतह पर आ गई है। जदयू विधायक डॉ. जितेंद्र कुमार के समर्थन में कार्यकर्ताओं ने खुलकर मोर्चा खोलते हुए विरोधियों को करारा जवाब दिया है।
विधायक को 50 हजार वोटों से जिताने का दावा
अस्थावां के कोतरा गांव में आयोजित प्रेस वार्ता में विधायक डॉ. जितेंद्र कुमार के करीबी समर्थकों ने यह ऐलान किया कि इस बार वे अपने नेता को कम से कम 50 हजार वोटों से जिताने का लक्ष्य लेकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। कार्यकर्ताओं ने कहा कि विधायक की ईमानदार छवि, विकास कार्यों और जनसमस्याओं को लेकर उनके संघर्ष को जनता भली-भांति जानती है।
उन्होंने दावा किया कि आम जनता का भरोसा आज भी विधायक पर बना हुआ है और जो लोग विरोध के नाम पर माहौल खराब कर रहे हैं, वे पार्टी के स्थायी सिपाही नहीं, बल्कि बरसाती मेंढक हैं, जो सिर्फ चुनावी मौसम में उग आते हैं और बाद में चुपचाप गायब हो जाते हैं।
विरोधियों पर बरसे समर्थक
विधायक समर्थकों ने प्रेस से बातचीत में कहा कि पार्टी के भीतर ही कुछ ऐसे लोग हैं जो लगातार अफवाहें फैलाकर माहौल को विषैला बना रहे हैं। ये वे लोग हैं जिन्होंने न तो कभी संगठन के लिए कुछ किया और न ही जनता से कोई सीधा जुड़ाव बनाया। कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट कहा कि पार्टी नेतृत्व को चाहिए कि ऐसे झूठ और फरेब की दुकान चलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि संगठन की साख बनी रहे।
हरनौत के बाद अस्थावां में भी घमासान
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला नालंदा और उसमें भी हरनौत व अस्थावां जैसे सीटें जदयू के लिए बेहद संवेदनशील मानी जाती हैं। लेकिन यहां कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ रही नाराजगी अब पार्टी के लिए चुनावी खतरे की घंटी बनती जा रही है। हरनौत में पहले ही कुछ कार्यकर्ता खुलकर विरोध कर चुके हैं, अब अस्थावां में भी यही स्वर सुनाई दे रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि जदयू नेतृत्व ने समय रहते अंदरूनी कलह पर नियंत्रण नहीं पाया, तो इसका असर एनडीए के चुनावी प्रदर्शन पर साफ तौर पर दिखेगा।
प्रशासन सतर्क, हालात पर नजर
इधर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी पार्टी के भीतर बढ़ती खींचतान को गंभीरता से लिया है। चुनाव से पहले इस तरह की गतिविधियां स्थानीय कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकती हैं। प्रशासन की ओर से घटनाक्रम पर करीबी नजर रखी जा रही है, ताकि कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो।
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