झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की पीठ में गुरुवार को अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. राज्य सरकार का जवाब सुनने के बाद अदालत ने चुनाव को 4 महीने में कराने का आदेश दिया है. अदालत ने निर्वाचन आयोग को एक सप्ताह में संशोधित मतदाता सूची देने का आदेश दिया है. सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की. राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने हाईकोर्ट में कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग को अभी तक अपडेट मतदाता सूची नहीं मिली है, जो मिलने पर चुनाव की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाएगी. कोर्ट ने मुख्य सचिव को निजी तौर पर पेश होने पर छूट प्रदान की.

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मुख्य सचिव ने अदालत को बताया कि पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर ट्रिपल टेस्ट अंतिम चरण में है और सरकार चुनाव करा लेगी. अदालत ने इस पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि कोर्ट ने पहले ही कहा था कि चुनाव को ट्रिपल टेस्ट के नाम पर रोका नहीं जा सकता है, इसलिए न्यायालय ने जो आदेश दिया है उसका पालन किया जाए. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की खंडपीठ ने भी इस पर सहमति जताई है. कोर्ट ट्रिपल टेस्ट के मामले पर सुनवाई नहीं कर रहा है और सरकार ने कहा कि मतदाता सूची मिलने के बाद चार महीने में चुनाव होंगे.

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भारत निर्वाचन आयोग ने अदालत को बताया कि लोकसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची बनाई गई थी, जो 13 जनवरी को राज्य निर्वाचन आयोग को दी गई थी. राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा कि हर साल पांच जनवरी को संशोधित मतदाता सूची जारी की जानी चाहिए, लेकिन इस बार यह सूची नहीं मिली है. इसलिए कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को एक सप्ताह में मतदाता सूची देने का आदेश दिया.

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निकाय चुनाव को लेकर एकलपीठ का आदेश?

4 जनवरी 2024 को, हाईकोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह में निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि चुनावों को समय पर नहीं करना और उन्हें रोकना लोकतंत्र को खत्म करने जैसा है, और यह संविधान के भी विपरीत है. ट्रिपल टेस्ट की आड़ में नगर निकाय का चुनाव नहीं कराना उचित नहीं है क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 243 कहता है कि चुनाव समय पर कराना अनिवार्य है. अदालत ने कहा कि नगर निगम और नगर निकाय का कार्यकाल समाप्त होने के काफी समय बीतने पर भी नगर निकाय का चुनाव नहीं कराया गया, जो प्रशासक के माध्यम से चलाया जा रहा है, यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए उचित नहीं है और संवैधानिक तंत्र की विफलता है.