Jitan Ram Manjhi: केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने सीएम नीतीश को लेकर बड़ा बयान दिया है. कल रविवार को वह बरनवाल समाज के सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे. जहां उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हए कहा कि, मैं 75 साल की उम्र में ही चुनावी राजनीति छोड़ना चाहता था, लेकिन नीतीश कुमार के कहने पर मुझे परिस्थितियों को देखते हुए गया के इमामगंज विधानसभा से चुनाव लड़ना पड़ा. लेकिन अब हमारी सारी इच्छाएं पूरी हो चुकी हैं, जब 85 साल का हो जाऊंगा, आपको धन्यवाद देने आऊंगा, आप से वोट मांगने नहीं आऊंगा.’

गया एयरपोर्ट से शुरू होंगी एडिशनल हवाई सेवा

इस दौरान जीतन राम मांझी ने इस दौरान गया एयरपोर्ट से दो एडिशनल हवाई सेवा शुरू किए जाने की बातों को दोहराया. उन्होंने कहा कि, शीघ्र ही यह सेवा शुरू होगी. पटना से दिल्ली का हवाई किराया कम. वहीं गया से दिल्ली का किराया अधिक है. यह काफी महंगा है. लेकिन जब एडिशनल सेवाएं शुरू होंगी तो काफी लाभ मिलेगा. इसके अलावा उन्होंने मालवाहक हवाई जहाज की सेवा शुरू किए जाने की बातें कहीं.

जीतन राम मांझी का ये बयान राजनीति में उनके अंतिम पड़ाव को दर्शा रहा है. हालांकि यह बातें भविष्य की हैं. देखना होगा कि उनके इस निर्णय के बाद उनके उत्तराधिकारी और पार्टी की भूमिका पर चर्चा तेज हो गई है.

80 की उम्र में पहली बार सांसद बने मांझी

मांझी को आज बिहार में दलितों के बड़े नेता के तौर पर जाना जाता हैं. जीतन राम मांझी 80 साल के उम्र में पहली बार सांसद बने हैं. साथ ही वे गया जिले से केंद्रीय मंत्री बनने वाले पहले सांसद हैं. बता दें कि साल 2014 में वो बिहार के मुख्यमंत्री भी बने थे. मांझी का जन्म 1944 में गया जिले के मोहड़ा प्रखंड के महकार में हुआ था. इनके पिता रामजीत मांझी थे, जो गांव के एक सम्पन्न किसान के यहां मजदूरी का काम किया करते थे. मांझी की शांति देवी से शादी हुई है. इनके चार बेटी और दो बेटे हैं. दो बेटों में से एक संतोष सुमन वर्तमान प्रदेश सरकार में मंत्री हैं.

मांझी का राजनीतिक करियर

जीतनराम मांझी ने गया कॉलेज से ग्रेजुएशन की है. तब घर की स्थिति बेहतर नहीं होने की वजह से उन्होंने तार विभाग में सरकारी नौकरी की. लेकिन उनका मन शुरू से ही राजनीति की तरफ था. एक वक्त आया, जब जीतन राम मांझी ने तार विभाग की नौकरी छोड़ दी और राजीनीति में आ गए.

पहली बार उन्होंने 1976 में कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगा पर नहीं मिला. लेकिन 1980 में कांग्रेस ने उन्हें बुलाकर फतेहपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया. साल 1980 से लगातार बिहार विधानसभा के सदस्य रहे. उन्होंने समय की नजाकत को भांप कर समय-समय पर पार्टियां बदलीं और चुनाव जीतते चले गए.

2015 में उन्होंने अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा बनाई. इससे पहले वे 9 महीने के लिए बिहार के 23वें मुख्यमंत्री बने थे. इस बीच उन्होंने तीन बार विधान सभा का चुनाव लड़ा. 2009, 2014 और 2020 में सांसद का भी चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली. इस बार 2024 में एनडीए से सांसद का चुनाव लड़ा तो जीत गए.

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