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गुरुग्राम। गुरूग्राम स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल में हुए प्रद्युम्न हत्याकांड में बुधवार को जुवेनाइल कोर्ट का एक बड़ा फैसला सामने आया है. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी छात्र को नाबालिग मानने से इंकार कर दिया है, कोर्ट का कहना है कि आरोपी छात्र की उम्र 16 वर्ष है इसलिए उसे नाबालिग नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि आरोपी छात्र को बालिग मानकर उसके ऊपर केस चलाया जाएगा.
बताया जा रहा है कि जेजे बोर्ड ने आरोपी के सायकोलॉजिकल रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया था इसमें साफ है कि जूवेनाइल जुर्म के परिणामों से बखूबी वाकिफ था. रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि एक बार जूवेनाइल स्कूल में शराब पीकर भी आया था. नए जेजे एक्ट के बाद संभवतः यह पहला मामला होगा कि 16 साल के किसी आरोपी को बालिग मानकर उसके खिलाफ सुनवाई की जाएगी.
इससे पहले आरोपी छात्र ने याचिका लगा कर मांग की थी कि सीबीआई द्वारा चार्जशीट दायर करने तक उसके खिलाफ नाबालिग की तरह ही केस चलाया जाए. 16 दिसंबर को इस मामले में हुई सुनवाई के बाद जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
गौरतलब है कि मृतक छात्र प्रद्युम्न के पिता वरूण ठाकुर ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में एक याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने इसे जघन्य अपराध बताते हुए कहा था कि ऐसा अपराध केवल विकृत और व्यस्क मानसिकता के अपराधी ही कर सकते हैं. इसलिए आरोपी छात्र को बालिग मानकर उसके खिलाफ केस चलाया जाए. ताकि उसे अधिकतम सजा मिल सके.
आपको बता दें कि आरोपी छात्र को बालिग मानने के बाद अब उसके खिलाफ सामान्य अारोपी की तरह ही केस चलाया जाएगा. जहां उसके खिलाफ अगर अपराध सिद्ध पाया जाता है तो कोर्ट उसे अधिकतम सजा सुना सकती है. वहीं अगर उसे नाबालिग माना जाता तो उसे 3 साल के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया जाता.