दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में चेहरे की पहचान आधारित प्रवेश प्रणाली (Facial Recognition Entry System) को लेकर शुरू हुआ विवाद अब अनुशासनात्मक कार्रवाई तक पहुँच गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में एक रिसर्च छात्र को एक सेमेस्टर के लिए निष्कासित (रस्टिकेट) कर दिया है। वहीं JNUSU के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर जुर्माना लगाया गया है।यह विवाद अगस्त 2025 में उस समय शुरू हुआ था, जब छात्रों के एक समूह ने केंद्रीय लाइब्रेरी में लगाए जा रहे फेस रिकग्निशन एंट्री सिस्टम का विरोध किया था। छात्रों का कहना था कि यह प्रणाली निगरानी (Surveillance) बढ़ाती है और गोपनीयता (Privacy) के अधिकार का उल्लंघन करती है।
अगस्त 2025 में जब जेएनयू की डॉ. बी.आर. अंबेडकर सेंट्रल लाइब्रेरी में फेशियल रिकग्निशन आधारित एंट्री गेट लगाए जा रहे थे, तब छात्रों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। छात्रों का तर्क था कि विश्वविद्यालय में JSTOR जैसी शोध जर्नल्स की सब्सक्रिप्शन, लाइब्रेरी में पर्याप्त सीटों, और दिव्यांग छात्रों के लिए सहायक सॉफ्टवेयर जैसी बुनियादी शैक्षणिक जरूरतें अभी तक पूरी नहीं हैं। ऐसे में लाखों रुपये खर्च कर निगरानी-आधारित तकनीकी सिस्टम लागू करना अनावश्यक और गैर-जरूरी है। विरोध के दौरान स्थिति तनावपूर्ण हो गई और जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष नितीश कुमार और उपाध्यक्ष मणिकांत पटेल के घायल होने की भी जानकारी सामने आई थी।
प्रशासन ने दी सजा
28 अक्टूबर को जारी आदेश में जेएनयू प्रशासन ने कहा कि मणिकांत पटेल, जो सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ रीजनल डेवलपमेंट (CSRD) में पीएचडी कर रहे हैं, उन्हें एक सेमेस्टर के लिए निष्कासित किया जाता है और तत्काल प्रभाव से परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित (Out of Bounds) किया जाता है। साथ ही, उन पर ₹15,000 का जुर्माना भी लगाया गया है। विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर ऑफिस के अनुसार, जांच में पटेल पर लगे आरोप सिद्ध पाए गए — जिनमें सुरक्षा कर्मियों और लाइब्रेरी स्टाफ से हाथापाई, लाइब्रेरी के मुख्य प्रवेश द्वार को लात मारकर नुकसान पहुंचाना, और ड्यूटी पर मौजूद लाइब्रेरियन से दुर्व्यवहार शामिल हैं। आदेश में कहा गया है कि पटेल की कार्रवाई को सरकारी कार्य में बाधा डालने और परिसर में अनुशासन भंग करने की श्रेणी में पाया गया।
इसके अलावा, JNUSU अध्यक्ष नितीश कुमार, जो स्वयं पीएचडी शोधार्थी हैं, पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने ₹19,000 का जुर्माना लगाया है। आदेश में कहा गया है कि नितीश कुमार ने लाइब्रेरी स्टाफ पर दबाव बनाने की कोशिश की, सुरक्षा गेट को जबरन खुलवाने का प्रयास किया और मणिकांत पटेल को आक्रामक व्यवहार के लिए उकसाया। प्रशासन ने उन्हें कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि भविष्य में किसी भी प्रकार की अराजक या बाधित करने वाली गतिविधि में शामिल पाए जाने पर और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वहीं JNUSU उपाध्यक्ष मनीषा पर भी ₹5,000 का जुर्माना लगाया गया है। आदेश में कहा गया है कि मनीषा विरोध प्रदर्शन के दौरान अनुशासनहीन व्यवहार में शामिल पाई गईं। उन्हें भी चेतावनी दी गई है कि अगर ऐसी गतिविधि दोहराई गई तो प्रशासनिक कार्रवाई और कठोर हो सकती है।
छात्रों ने लगाया प्रशासन पर आरोप
हालांकि, इस कार्रवाई के बाद मणिकांत पटेल ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि छात्र केवल बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने उनकी शिकायतों पर ध्यान देने के बजाय मुद्दे को अनुशासनात्मक कार्रवाई की ओर मोड़ दिया। मणिकांत पटेल के अनुसार, “हम लाइब्रेरी की सुविधाओं और शोध संबंधी संसाधनों को नियमित रखने की मांग कर रहे थे। लेकिन प्रशासन हमारी समस्याओं पर कोई बात नहीं करना चाहता। इसके उलट करोड़ों रुपये फेस रिकग्निशन सिस्टम लगाने पर खर्च किए जा रहे हैं।”
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