जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना और सीआरपीएफ ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पुलवामा हमले और एनकाउंटर की जानकारी दी. साथ ही उन्होंने कश्मीरी युवाओं को सरेंडर करने का सख्त संदेश भी दिया.

श्रीनगर. पुलवामा आतंकी हमले और इसके 100 घंटे बाद इसके मास्टरमाइंड रशीद गाजी को ढेर करने के बाद सेना ने आतंकियों और उनके परिजनों को सख्त संदेश दिया है. सेना साफ कहा कि आतंकी या तो हथियार छोड़ दें या फिर ढेर होने के लिए तैयार रहें. सेना ने कहा कि पुलवामा हमले में पाकिस्तान की सेना का भी हाथ है. आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को पाकिस्तान आर्मी का बच्चा बताते हुए भारतीय सुरक्षाबलों ने चेतावनी दी कि आने वाले समय में घाटी से आतंकियों के सफाये का ऑपरेशन जारी रहेगा और उन्हें चुन-चुनकर मारा जाएगा.

कितने गाजी आए और कितने चले गए’

जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और सीआरपीएफ ने आज साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आतंकियों को सख्त संदेश दिया. ले. जनरल के जे एस ढिल्लन, GOC चिनार कॉर्प्स ने कहा, ‘पुलवामा हमले के 100 घंटे के भीतर ही आतंकियों को ढेर कर दिया गया. इस हमले में ISI के हाथ होने की आशंका से इनकार नहीं करते हैं’ उन्होंने कहा कि घाटी में कितने गाजी आए और कितने चले गए. जो आतंकी कश्मीर में आएगा जिंदा नहीं बचेगा. कश्मीर पुलिस के आईजी एसपी पाणि ने कहा, ‘पिछले साल जैश 56 आतंकी मारे गए और इस साल भी अब तक मारे गए 31 आतंकियों में से 12 जैश के थे’ उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में युवाओं आतंक से जुड़ने में बनने में कमी आई है. घाटी में जो भी घुसपैठ करेगा वह जिंदा नहीं बचेगा.’

जो घाटी में घुसपैठ करेगा, वह जिंदा नहीं लौटेगा’

लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लन ने जैश के चीफ कमांडर गाजी रशीद के लिए कहा, ‘कितने गाजी आए कितने चले गए, हम उन्हें ऐसे ही हैंडल करेंगे कोई भी आए’ उन्होंने कहा, ‘हमारा फोकस क्लियर है जो भी घाटी में घुसपैठ करेगा, वह जिंदा नहीं लौटेगा’ उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में पाकिस्तान द्वारा घुसपैठ जारी है, लेकिन घुसपैठ में काफी हद तक कमी आई है.

कश्मीरी मांओं से सेना की अपील

जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और सीआरपीएफ ने आज साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कश्मीरी युवाओं को आंतक से दूर रहने की नसीहत भी दी. सेना ने आतंकियों की माताओं से अपील की कि वह अपने बच्चे को सरेंडर करने को कहें. सेना के लेफ्टिनेंट जनरल के जेएस ढिल्लन ने भटके कश्मीरी युवाओं की माताओं से अपील करते हुए कहा कि अपने बच्चों को जो आतंकी संगठन से जुड़े हैं उन्हें सरेंडर करने के लिए मनाएं. उन्होंने यह भी कहा कि नहीं तो सेना उनका खात्मा करने को मजबूर होगी.

पुलवामा हमले में पाकिस्तान का हाथ: ढिल्लन

ले. ज. ढिल्लन ने कहा, ‘मुठभेड़ में जैश के 3 कमांडर ढेर हुए हैं. इस हमले में और कौन शामिल थे और क्या प्लान थे, यह हम शेयर नहीं कर सकते’ उन्होंने यह भी कहा, ‘जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान आर्मी का ही बच्चा है. इस हमले में पाकिस्तानी सेना का 100 फीसदी इनवॉल्वमेंट हैं. इसमें हमें और आपको कोई शक नहीं है.’

कश्मीर में जो बंदूक उठाएगा वह मारा जाएगा’

लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लन ने कहा, ‘मैं जम्मू-कश्मीर के अभिवावकों खासकर माताओं से अपील करता हूं कि अपने बच्चों को समझाएं और गलत रास्ते पर चले गए लड़कों को सरेंडर करने के लिए बोलें. उन्हें समझाएं और मुख्यधारा में वापस आने के लिए कहें’ उन्होंने कहा कि कश्मीर में जो बंदूक उठाएगा वह मारा जाएगा. उन्होंने कहा, ‘हम सरेंडर करनेवालों के लिए कई तरह के अच्छे कार्यक्रम चला रहे हैं, लेकिन आतंकी वारदातों में शामिल रहनेवालों के लिए कोई रहमदिली नहीं दिखाई जाएगी.’

बिग्रेडियर छुट्टी पर थे, मुठभेड़ की खबर मिलते ही ड्यूटी पर आए’

प्रेस कॉन्फ्रेंस में ढिल्लन ने पुलवामा अटैक और एनकाउंटर में शहीद हुए सभी जवानों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने बताया कि एनकाउंटर में 2 पाकिस्तानियों के साथ 1 स्थानीय आतंकी की भी मौत हुई है. ले. ज. केजेएस ढिल्लन जीओसी चिनार कॉर्प्स ने कहा, ‘कल के ऑपरेशन में फ्रंट पर लीड करनेवाले हमारे ब्रिगेडियर हरदीप छुट्टी पर थे, लेकिन जब उन्हें पुलवामा मुठभेड़ के बारे में पता चला कि वह छुट्टी छोड़कर आधी रात को देशसेवा के लिए ड्यूटी पर तैनात हुए. मैं स्थानीय नागरिकों से अपील करता हूं कि वह ऑपरेशन के दौरान हमारा सहयोग करें’

किसी स्थानीय को कोई चोट न पहुंचे इसका ख्याल रखा गया’

ले. ज. केजेएस ढिल्लन जीओसी चिनार कॉर्प्स ने कहा, ‘कल की घटना में जो जवान शहीद हुए या फिर जिन्हें चोट आई हम स्पष्ट कर दें कि सेना के ऑपरेशन में पूरी तरह से किसी स्थानीय को कोई चोट न पहुंचे इसका ख्याल रखा गया’ वहीं सीरपीएफ के आईजी जुल्फिकार हसन ने कहा, ‘शहीद हुए जवानों के परिवार से कहना चाहूंगा कि आप अपने को अकेले न समझें. आपके लिए हर वक्त हम खड़े हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में पढ़ने वाले कश्मीरी बच्चों के लिए भी हम हेल्पलाइन चला रहे हैं, ताकि उन्हें अप्रिय स्थिति का सामना न करना पड़े.’