पवन दुर्गम, बीजापुर. मोस्ट वांटेड नक्सली नेता गणेश उइके ने पत्रकारों के लिए प्रेस नोट जारी कर अंदरूनी इलाकों में लगी बंदिश को हटा दिया है. उइके ने कहा है कि अब पत्रकार स्वेच्छा से इलाकों का दौरा कर रिपोर्टिंग कर सकते हैं.
आपको बता दें कि बस्तर के अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों की गहरी पैठ है. यहां पर नक्सलियों का एक छत्र राज चलता है. बिना तैयारी के इन इलाको में पुलिस भी नहीं घुस सकती है . कोई पत्रकार हिम्मत करके चले भी जाए तो पुलिस उसे सुरक्षा कारणों का हवाला देकर रोक लेती है. पत्रकारों के लिए रिपोर्टिंग करना आसान नहीं रह गया है.
एक ऐसा ही मामला 21 अक्टूबर को सामने आया था. एक एनआरआई पत्रकार सिद्धार्थ राय, कमल शुक्ला और उसके कैमरामैन को कांकेर पुलिस पूछताछ के नाम पर थाने ले गई थी. जब मीडिया और विपक्षी पार्टी को पता चला था पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाया गया था. इस पर कांकेर एसपी ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर पूछताछ करने थाना बुलाने की बात कही थी
21 अक्टूबर की पूरी खबर पढ़िए-
कांकेर में दो पत्रकारों को पूछताछ के नाम पर थाने में करीब दो घंटे तक बैठाकर रखा गया. पत्रकार सिद्धार्थ राय और कमल शुक्ला बस्तर गए थे. पुलिस को इसकी जानकारी हुई तो दोनों को थाने ले लाई. इसकी जानकारी जैसे ही सामाजिक कार्यकर्ताओं को हुई तो विरोध करना शुरू कर दिए.
इस पर कांकेर एसपी जितेंद्र शुक्ला ने कहा कि दोनों पत्रकार बस्तर के काफी अंदर गए थे, दोनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की है, इसलिए पत्रकार सिद्धार्थ राय और कमल शुक्ला को पूछताछ के लिए थाने लाया गया था. गिरफ्तार करने वाली कोई बात नहीं है.
इस पर नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने ट्वीट कर पुलिस पर पत्रकार को गिरफ्तार करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ राय, कमल शुक्ला और उसके कैमरामैन को बिना किसी कारण से बस्तर पुलिस ने गिरफ्तार किया गया है. हम उसकी तत्काल रिहाई की मांग करते हैं. टीएस सिंहदेव ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ पत्रकार संरक्षण एक्ट अधिनियम बनाया जाए. इसकी मांग हम लोग बहुत पहले से ही करते आ रहे हैं. ये कोई पहली बार मांग नहीं कर रहे हैं.