PM नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) दो दिनों के राजकीय यात्रा पर मॉरीशस पहुंच गए हैं. यहां भारतीय मूल की बिहारी महिलाओं ने प्रधानमंत्री मोदी का पारंपरिक लोकगीत ‘गीत-गवई’ से स्वागत किया. मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम (Navin Ramgoolam) ने एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया. PM नवीनचंद्र रामगुलाम का भारत से गहरा नाता है. उनके परिवार की हिस्ट्री बिहार (Bihar) के भोजपुर (Bhojpur) जिले से जुड़ी हैं. रामगुलाम परिवार का मॉरीशस (Mauritius) की आजादी में भी बड़ी भूमिका थी.

गौरतलब है कि मॉरीशस अफ्रीका का एक छोटा देश है, जिसकी कुल आबादी करीब 12 लाख है. यहां करीब 70 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है. भोजपुरी भी यहां बड़े पैमाने पर बोली जाती है. मॉरीशस की कुल आबादी में करीब 50 फीसदी हिंदू हैं. इसके बाद करीब 32 फीसदी आबादी ईसाई धर्म को मानने वाली है, जबकि 15 फीसदी के करीब इस्लाम को मानने वाले हैं
जानें रामगुलाम परिवार का बिहार कनेक्शन
रामगुलाम परिवार की कहानी ब्रिटिश हुकुमत से शुरू होती है. साल 1715 में मॉरीशस पर फ्रांस ने कब्जा किया था. लेकिन 1803 के बाद हुए युद्ध के बाद ब्रिटिश ने इसपर कब्जा कर लिया. ब्रिटिश कब्जे के बाद भारत से कई मजदूरों को मॉरीशस से जाया गया. साल 1896 में ‘द हिंदुस्तान’ नामक एक जहाज से बिहार के भोजपुर जिले के हरिगांव से 18 वर्षीय मोहित रामगुलाम नामक एक शख्स को भी मॉरीशस ले जाया गया. फिर यही से रामगुलाम परिवार की मॉरीशस यात्रा शुरू होती है.
भारतीयों के साथ मोहित रामगुलाम के भाई भी मॉरीशस गए थे. मोहित ने पहले एक मजदूर के रूप में काम किया लेकिन बाद में वो क्वीन विक्टोरिया सुगर इस्टेट में नौकरी करने लगे. यहां उनकी मुलाकात बासमती से हुई जो विधवा थीं. मोहित ने 1898 में उनसे शादी कर ली. इसके दो साल बाद उनके बेटे शिवसागर का जन्म हुआ. मोहित ने धीरे-धीरे मॉरीशस में भोजपुरी भाषा और हिंदू धर्म के रिवाजों को लेकर पहल शुरू की और हिंदुओं को जोड़ना शुरू किया.
जब शिवसागर 12 साल के थे तभी उनके पिता मोहित का निधन हो गया. लेकिन शिवसागर ने हिम्मत नहीं हारी. इस दौरान उन्होंने अपनी मां को बिना बताए स्कूल में दाखिला ले लिया. फिर बाद में अपने भाई की मदद से वह इंग्लैंड पढ़ने के लिए गए. यहां शिवसागर की मुलाकात भारत के कई दिग्गजों से हुई जो अंग्रजों से आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे. शिवसागर उनसे बहुत प्रभावित हुए.
शिवसागर 1935 में वापस मॉरीशस लौटे
शिवसागर 1935 में इंग्लैंड से फिर मॉरीशस पहुंचे. उन्होंने मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई और वोटिंग राइट के लिए मॉरीशस लेबर पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई.
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ छेड़ा आंदोलन
साल1940 से लेकर 1953 के बीच शिवसागर ने मॉरीशस की कई जगहों पर प्रदर्शन में हिस्सा लिया. उन्होंने पार्टी दफ्तर भी खोले. इस दौरान उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए ब्रिटिश हुकूमत की खूब आलोचना की. इसके बाद धीरे-धीरे पूरे मॉरीशस में शिवसागर हीरो की तरह उभरने लगे. आखिरकार 12 मार्च 1968 को मॉरीशस को आजादी मिल गई.
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मॉरीशस के पहले पीएम बने शिवसागर
शिवसागर ने मॉरीशस की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी. लिहाजा उन्हें आजादी के बाद राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई. वो पहले पीएम भी बने. उनके कार्यकाल में सरकार ने मुफ्त शिक्षा की पहल की. उन्हें मॉरीशस में अंकल कहकर बुलाते थे. 1982 तक शिवसागर की पार्टी का मॉरीशस में जलवा देखने को मिला. उनकी पार्टी 1982 के आम चुनावों में हार गई. एस भी सीट पर जीत नहीं मिली. शिवसागर भी अपनी सीट हार गए.
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शिवसागर के बेटे है नवीन रामचंद्र रामगुलाम
शिवसागर के निधन के बाद उनके बेटे नवीनचंद्र रामगुलाम ने सियासत संभाली. नवीनचंद्र 1995-2000 और 2005 से लेकर 2014 तक देश के पीएम रहे. इसके बाद 2024 में वो तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. आसान शब्दों में कहें तो रामगुलाम परिवार का मॉरीशस की सियासत में बड़ा प्रभाव है.
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