नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन को धराशाई कर भाजपा को शीर्ष पर खड़ा करने वाले जय प्रकाश नड्डा को सोमवार को भारतीय जनता पार्टी का निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. भाजपा के 11वें राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर नड्डा का कार्यकाल तीन सालों के लिए होगा. वे जून 2019 से अब तक कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे थे.

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में संपन्न हुए चुनाव में जेपी नड्डा के नाम का प्रस्ताव बीजेपी के चुनाव अधिकारी राधामोहन सिंह को दिया गया है. अमित शाह, नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह की ओर से जेपी नड्डा के नाम का प्रस्ताव दिया गया है. कोई और नामांकन नहीं होने के साथ जेपी नड्डा निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए. इस दौरान केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जेपी नड्डा को लेकर कहा कि उनमें संगठनात्मक खूबियां हैं, सबको साथ लेने की क्षमता है. वे वर्षों से बीजेपी के साथ जुड़े हैं और उनकी अगुवाई में पार्टी नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे.

एबीवीपी से हुई राजनीतिक जीवन की शुरुआत

नारायण लाल नड्डा और कृष्णा नड्डा की संतान जयप्रकाश नड्डा का जन्म 2 दिसंबर 1960 को पटना में हुआ था. सेंट जेवियर स्कूल, पटना से स्कूल शिक्षा हासिल करने के बाद पटना कॉलेज से बीए और हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला से एलएलबी किया. एलएलबी करने के दौरान ही उनका राजनीतिक करियर सही मायनों ने शुरू हुआ, जब वाम छात्र संगठन एसएफआई को पहली बार एबीवीपी ने पटखनी दी, और नड्डा छात्रसंघ अध्यक्ष बने.

नड्डा की नियुक्ति के जश्न में शामिल हिमाचल प्रदेश की नृत्य मंडली

बिलासपुर विस से हासिल की तीन बार जीत

नड्डा की क्षमता को पहचानकर पार्टी के आला कमान ने 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा की कमान सौंप दी. इसके बाद 1993 में उन्हें हिमाचल प्रदेश के हिमाचल प्रदेश विधानसभा सीट से उतारा गया, जहां से उन्होंने जीत हासिल कर पहली बार विधानसभा में कदम रखा. उन्होंने बिलासपुर विधानसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल की. 1998 में बिलासपुर विधानसभा सीट जीतने के बाद प्रेम कुमार धूमल मंत्रिमंडल में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया गया. 2003 के चुनाव में कांग्रेस से हारने के बाद 2007 में फिर से चुनाव में जीत हासिल की और धूमल मंत्रिमंडल में फिर से स्थान हासिल किया.

हिमाचल के CM बनने की दौड़ में थे शामिल

लेकिन मुख्यमंत्री धूमल से विवाद की स्थिति बनने के बाद उन्हें वन मंत्री के तौर पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. नड्डा की प्रतिभा को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2010 में उन्हें भाजपा का महासचिव नियुक्त किया गया. वर्ष 2012 में हिमाचल प्रदेश से निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुने गए. वर्ष 2014 में मोदी सरकार के केंद्र पर काबिज होने पर उन्हें स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया गया. वर्ष 2017 में हुए हिमाचल विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के साथ नड्डा के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा हुई, लेकिन रेस में जयराम ठाकुर के आगे निकल जाने के बाद नड्डा वापस भाजपा की केंद्रीय राजनीति में आ गए.

लोकसभा चुनाव में उप्र में दिलाई जोरदार सफलता

नई पारी में उत्तर प्रदेश प्रभारी के तौर पर नड्डा ने 2019 के चुनाव में जो जीत दिलाई, उसका परिणाम रहा कि अमित शाह के बाद पार्टी को आगे ले जाने के लिए उन्हें ज्यादा सबसे सशक्त समझा गया और जून 2019 में उन्हें भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, और अब पूर्णकालिक अध्यक्ष चुना गया है.