देशभर में ‘एक देश, एक चुनाव’ के मुद्दे को लेकर बातचीत तेज है। ऐसे में मंगलवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना से बातचीत की। बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि इस बातचीत में सहमति बनी कि यह विधेयक भारतीय संविधान के अनुरूप है। इस समिति का मकसद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की संभावनाओं का अध्ययन करना है। इससे पहले समिति शिक्षाविदों और पूर्व सांसदों से चर्चा कर चुकी है। इन विशेषज्ञों ने एक साथ चुनाव के फायदे गिनाते हुए कहा कि इससे नीति-निर्माण में रुकावटें कम होंगी, प्रशासन बेहतर होगा और चुनावी प्रक्रिया अधिक व्यवस्थित होगी।

क्या बोले जेपीसी अध्यक्ष पीपी चौधरी?

वहीं मामले में जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने बताया कि अब तक की बातचीत में विशेषज्ञों ने ‘एक देश, एक चुनाव’ को देश के विकास और स्थायित्व के लिए जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि अगर हम चाहते हैं कि देश तेजी से आगे बढ़े, तो ‘एक देश, एक चुनाव’ जरूरी है। पीपी चौधरी ने बताया ‘पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के साथ एक राष्ट्र एक चुनाव पर समिति के सदस्यों की बातचीत हुई। इस बातचीत में सहमति बनी कि यह विधेयक भारतीय संविधान के अनुरूप है। समिति विधेयक पर विचार-विमर्श कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसमें सभी संभव सुधार किए गए हैं, और फिर संसद को एक सिफारिश भेजी जाएगी। पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना ने सदस्यों के साथ लगभग 3 घंटे तक बातचीत की।’ यह जीपीसी की 11वीं बैठक है।

विदेश मामलों की संसदीय समिति की भी हुई बैठक

विदेश मामलों की संसदीय समिति की भी आज बैठक हुई। बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा अच्छी बैठक हुई। बैठक में कुल 19 सांसद थे। कई सवाल पूछे गए। कई सांसदों ने अपने क्षेत्र के लोगों की वीजा से जुड़ी परेशानियों के बारे में पूछा। व्यापार संबंधों, सुरक्षा पर यूरोप के साथ सहयोग के अन्य पहलुओं, मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चर्चा हुई और रक्षा सहयोग पर भी गंभीर सवाल पूछे गए। हम एक और बैठक करेंगे, और अगली बार, मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर वाणिज्य मंत्रालय से भी जानकारी ली जाएगी। यूरोप के साथ भारत के संबंधों का सवाल बहुत अहम है और आज शायद ज्यादा अहम हो गया है। हमने अमेरिकी टैरिफ पर चर्चा नहीं की।’

संविधान संशोधन का प्रस्ताव

बता दें कि ‘एक देश, एक चुनाव’ (ओएनओई) को लागू करने के लिए संविधान में बदलाव की जरूरत होगी। इसके लिए अनुच्छेद 82, 83, 172 और 327 में संशोधन करने का प्रस्ताव है। साथ ही केंद्र शासित प्रदेश कानून में भी बदलाव की बात की गई है। लोकसभा ने 12 अगस्त को समिति को अपनी रिपोर्ट देने के लिए 2025 के शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह तक का समय दे दिया है। पहले यह रिपोर्ट दिसंबर 2024 में दी जानी थी, लेकिन अब समिति को और वक्त मिल गया है। गौरतलब है कि एक देश, एक चुनाव’ पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में कुल 39 सदस्य, जिनमें 27 लोकसभा और 12 राज्यसभा सांसद हैं। ये विभिन्न दलों से आते हैं, जिनमें भाजपा, कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना (यूबीटी) शामिल हैं।

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