JSW Steel-JFE Steel Deal: स्टील इंडस्ट्री में बुधवार की सुबह अचानक हलचल बढ़ गई. JSW स्टील और उसके पुराने जापानी पार्टनर JFE स्टील ने एक नई बड़ी डील पर मुहर लगा दी. इस समझौते ने न सिर्फ कंपनी की बैलेंस शीट पर राहत के संकेत भेजे, बल्कि मार्केट में ट्रेडर्स के भरोसे को भी मजबूत किया है.

क्या है नई डील?
जापान की JFE स्टील कॉर्पोरेशन, JSW स्टील के साथ मिलकर एक नया जॉइंट वेंचर बनाएगी. इसके लिए JFE करीब ₹15,750 करोड़ का निवेश करेगी. इस साझेदारी का केंद्र होगा- भूशन पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) का ओडिशा वाला विशाल स्टील प्लांट, जो अब JSW की सब्सिडियरी है. नए वेंचर में JFE की हिस्सेदारी 50% रहेगी, यानी दोनों कंपनियां बराबरी की भागीदार होंगी.
मार्केट की पहली प्रतिक्रिया
डील सामने आते ही ब्रोकरेज हाउसों की राय भी शेयर की कीमतों में दिखने लगी. 36 एनालिस्ट में से लगभग आधे स्टॉक पर पॉजिटिव हैं. इनमें 16 ने ‘बाय’ की सलाह दी. 10 ने ‘होल्ड’ कहा और 10 ने ‘सेल’ बरकरार रखी.
मार्केट ने भी खबर का स्वागत किया. JSW स्टील का शेयर 1.5% उछलकर ₹1165 के स्तर तक पहुंच गया, जो इस बात का संकेत था कि निवेशकों ने डील को गंभीरता से लिया है.
ब्रोकरेज का नजरिया, किसे क्या दिख रहा है?
मॉर्गन स्टेनली ने साफ कहा है कि यह साझेदारी JSW स्टील के लिए गेम-चेंजर हो सकती है. उनका तर्क है कि JFE की उन्नत तकनीक और JSW की एक्सीक्यूशन क्षमता मिलकर कंपनी की क्षमता को अगले स्तर पर ले जा सकती हैं.
उनके अनुमान के मुताबिक BPSL की एंटरप्राइज वैल्यू करीब ₹53,000 करोड़ बैठती है, जिसमें मौजूदा कर्ज ₹5,000 करोड़ और नई उधारी लगभग ₹16,500 करोड़ शामिल है.
JSW को अपनी हिस्सेदारी बेचने (slump sale) से ही ₹24,500 करोड़ का कैश आ जाएगा, जो कंपनी के डेट को काफी हल्का कर देगा. इसके अलावा प्रमोटर ग्रुप के साथ शेयर स्वैप से लगभग ₹7,900 करोड़ और मिलने की उम्मीद है.
CLSA और Citi की राय: अलग नजरिया, अलग नंबर
CLSA ने इस पर थोड़ा सतर्क रुख अपनाया है. उन्होंने स्टॉक पर ‘अंडरपरफॉर्म’ रेटिंग रखी और टारगेट प्राइस ₹890 दिया है. उनका मानना है कि भले ही लेवरेज कम होने से JSW की प्रति शेयर वैल्यू ₹30 से ₹70 बढ़ सकती है, लेकिन वैल्यूएशन अभी भी अधिक दिखाई देते हैं.
सिटी ने भी अपना टारगेट ₹915 पर बनाए रखा है और रेटिंग ‘सेल’ रखी है. उनका मुख्य तर्क है कि इस डील में BPSL का EV-to-EBITDA मल्टीपल लगभग 10 गुना बैठ रहा है, जबकि JSW खुद करीब 9 गुना पर ट्रेड कर रहा है.
डील के बाद BPSL को JSW की बुक्स से हटाया जाएगा, जिससे कंपनी का नेट डेट-टू-EBITDA 3 गुना से घटकर 1.7 गुना पर आ जाएगा. यह जरूर एक सकारात्मक संकेत है.
निचोड़: डील बड़ी है, प्रभाव उससे भी बड़ा
JSW–JFE की यह साझेदारी केवल एक बिजनेस डील नहीं है; यह भारत के तेजी से बदलते स्टील सेक्टर में एक महत्वपूर्ण बदलाव की भूमिका निभा सकती है. कंपनी का कर्ज हल्का होगा, कैश फ्लो मजबूत होगा और JFE की टेक्नोलॉजी भारतीय बाजार में और गहराई तक उतर सकेगी.
मार्केट फिलहाल इसे एक सकारात्मक मोड़ की तरह देख रहा है. अब निगाहें इस बात पर होंगी कि आने वाले महीनों में यह जॉइंट वेंचर वास्तविक प्रदर्शन से क्या संदेश देता है.
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