भाजपा लोकसभा सांसद बांसुरी स्वराज के निर्वाचन को चुनौती देने वाले आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती को अदालत में सोमवार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा. कोर्ट ने कहा कि याचिका में गलतियों की भरमार है. अदालत ने नोटिस जारी करने से इनकार करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी और सोमनाथ भारती को गलतियों को ठीक करने को कहा.सोमनाथ भारती ने बांसुरी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने कहा, ‘आपकी याचिका में गलतिया बहुत है. मैं नोटिस जारी नहीं कर सकता क्योंकि इसमें कुछ समझ नहीं आ रहा है.’ कोर्ट ने सोमनाथ भारती से कहा कि पहले याचिका में मौजूद गलतियों को सुधारकर लाएं उसके बाद आगे की कार्यवाही होगी. इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 अगस्त को होगी.   

जस्टिस अरोड़ा ने कहा कि सिनॉप्सिस में बताए गए प्रतिवादी मेमो से मेल नहीं खाते. उन्होंने कहा कि याचिका में प्रतिवादी संख्या 4 का जिक्र है, लेकिन यह मेमो में नहीं है. उन्होंने आगे कहा, ‘यह गलतियों से भरा हुआ है. बहुत ज्यादा गलतिया हैं. आपको पहले याचिका में सुधार करना है. मैं नोटिस जारी नहीं कर सकता क्योंकि मैं समझ नहीं सकता. मैं स्थगित करूंगा और पहले आप सही याचिका दायर करिए.’

अपनी याचिका में सोमनाथ भारती ने बांसुरी स्वराज के निर्वाचन को चुनौती देते हुए भ्रष्ट आचरण का आरोप लगाया है. याचिका में दावा किया गया, ‘चुनाव के दिन 5 मई 2024 को याचिकाकर्ता, नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र के विभिन्न बूथों के अपने दौरे के दौरान यह देखकर हैरान रह गया कि प्रतिवादी नंबर-1 (बांसुरी) के बूथ एजेंटों के पास उनकी (स्वराज) मतपत्र संख्या, फोटो, चुनाव चिह्न और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर वाले पर्चे थे और वे इसे मतदाताओं को दिखा रहे थे जोकि निश्चित तौर पर भ्रष्ट आचरण है. इसकी सूचना प्रतिवादी संख्या-3 (निर्वाचन अधिकारी) को भी दी गई, लेकिन यह व्यर्थ रहा.’

याचिका में आरोप लगाया गया है कि आप के पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद, जो इस चुनाव में बसपा के उम्मीदवार थे, वास्तव में उन्हें याचिकाकर्ता के खिलाफ स्वराज की मदद करने के लिए BJP द्वारा खड़ा किया गया था. इसमें कहा गया है कि आनंद दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री थे और 9 अप्रैल तक भारती के लिए प्रचार में सक्रिय थे और अचानक उन्होंने 10 अप्रैल को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. याचिका में आरोप लगाया गया है कि आनंद ने वोटों में कटौती करके स्वराज की मदद करने के लिए बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और बाद में 10 जुलाई को वह भाजपा में शामिल हो गए.