चंद्रकांत/बक्सर: बिहार राज्य की अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारी 16 जनवरी से हड़ताल पर जाने का निर्णय ले चुके हैं. कर्मियों का कहना है कि यह कदम राज्य सरकार की हठधर्मिता के विरोध में उठाया गया है. बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने बताया कि न्यायिक कर्मियों की वर्षों से लंबित वेतनमान सुधार और पदोन्नति की मांगों को अनदेखा किया जा रहा है.

‘उचित वेतनमान नहीं दिया गया’

कर्मचारी संघ के अनुसार 20 दिसंबर को विधि सचिव द्वारा जारी आदेश में पटना उच्च न्यायालय की अनुशंसा को खारिज कर दिया गया, जिसमें न्यायिक कर्मचारियों के वेतन वृद्धि की सिफारिश की गई थी. संघ के अध्यक्ष ने बताया कि पिछले 30 वर्षों से न्यायिक कर्मचारियों को उनकी योग्यता के अनुरूप पदोन्नति या उचित वेतनमान नहीं दिया गया है.

प्रोन्नति के द्वार बंद 

1985 के पहले, सचिवालय, उच्च न्यायालय और जिला अदालतों के लिपिकों की योग्यता समान थी, लेकिन 1985 के बाद सचिवालय और उच्च न्यायालय के सहायकों का वेतनमान बढ़ा दिया गया, जबकि जिला अदालतों के कर्मचारियों का वेतनमान घटा दिया गया. इसके बाद से जिला अदालतों में कर्मचारियों के लिए प्रोन्नति के द्वार बंद कर दिए गए.

सेवा शर्तों में बदलाव की मांग 

संघ ने मांग की है कि स्नातक वेतनमान, अनुकंपा नियुक्ति और प्रोन्नति के लिए सेवा शर्त नियमावली में संशोधन किया जाए. इससे कर्मचारियों को गरिमा के साथ कार्य करने का अवसर मिलेगा. कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि अदालतों में अत्यधिक कार्यभार और अवसादपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण कई कर्मचारी बीमार हो रहे हैं और कुछ की असमय मृत्यु भी हो रही है.

24 घंटे कार्य और छुट्टियों की कमी 

न्यायालयों में कर्मचारियों को चौबीसों घंटे काम करना पड़ता है, जिसमें छुट्टियों के दिन अभियुक्तों की रिमांड प्रक्रिया और प्रोटोकॉल ड्यूटी जैसे कार्य भी शामिल हैं. संघ ने कहा कि न्यायालयों के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, जिनमें कई स्नातक और विधि स्नातक भी हैं, दशकों से पदोन्नति से वंचित हैं.

न्यायिक कर्मचारियों में असंतोष 

संघ के अध्यक्ष ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय और विधि विभाग ने कर्मचारियों की पदोन्नति की फाइलें लंबित रखी हैं और अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया को भी रोक दिया गया है. इसके चलते विभिन्न न्यायमंडलों के कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय में रिट याचिकाएं दायर कर रखी हैं, जो वर्षों से लंबित हैं. संघ ने स्नातक स्तर का वेतनमान, शेट्टी कमीशन की अनुशंसा के अनुसार पदोन्नति और मृत कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है. संघ ने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और महानिबंधक को बार-बार ज्ञापन सौंपा है.

भविष्य की योजना 

कर्मचारी संघ के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा अलग-अलग न्याय मंडलों से मांगे गए मार्गदर्शन के आधार पर अलग-अलग आदेश जारी किए जाते हैं, जिससे न्यायिक कर्मचारियों के मुद्दे और जटिल हो जाते हैं. संघ के अध्यक्ष ने बताया कि वेतन और पदोन्नति के मुद्दों पर गठित केंद्रीय समिति भी अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाई है. कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो पूरे बिहार में अदालतों का कामकाज ठप हो सकता है, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित होगी.

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