रायपुर। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने प्रदेश सरकार की नाक के नीचे चल रहे भ्रष्टाचार के खुले खेल को लेकर तीखा हमला बोला है. मूणत ने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त छत्तीसगढ़ का नारा प्रदेश की कांग्रेस सरकार का महज़ सियासी जुमला बनकर रह गया है. मूणत ने कहा कि किसानों के साथ खुली धोखाधड़ी करने के बाद अब बीज निगम के अधिकारी स्कूली छात्रों के राशन में अपनी बदनीयती का भद्दा प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रदेश सरकार इस पर आँखें मूंदे बैठी है.
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि बीज निगम द्वारा सोयाबड़ी ख़रीदी में किए जा रहे भारी घोटाले की सूक्ष्मता से जांच की जाकर इसके लिए ज़िम्मेदार और दोषी अधिकारियों पर सख़्त दंडात्मक कार्रवाई की जाए. मूणत ने कहा कि बीज निगम द्वारा स्कूलों को बाज़ार मूल्य से लगभग 40 रुपए अधिक क़ीमत पर सोयाबड़ी की आपूर्ति की जा रही है. बाज़ार में 65 रुपए में मिलने वाली सोयाबड़ी स्कूलों को 105 रुपए में दी जा रही है. बीज निगम के अधिकारी इस अधिक क़ीमत के पीछे सोयाबड़ी की अच्छी क्वालिटी की बात कर रहे हैं, जबकि जानकारों का साफ़ कहना है कि बीज निगम द्वारा आपूर्ति की जा रही सोयाबड़ी की क्वालिटी बाज़ार में मिल रही सोयाबड़ी से भी घटिया है.
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मूणत ने कहा कि बीज निगम के अधिकारी जिस सोयाबड़ी को गुणवत्तायुक्त बता रहे हैं, उसका सच यह है कि कुकिंग कॉस्ट के नाम पर 40 रुपए वसूल रहे निगम द्वारा पिछले साल आपूर्ति की गई सोयाबड़ी सड़ चुकी थी, जिसे शिकायत सामने आने पर आनन-फानन बदला गया था. विडम्बना तो यह है कि निगम द्वारा दी जा रही सोयाबड़ी की क्वालिटी आज भी ख़राब बताई जा रही है, जिसके हर पैकेट में 50 से 100 ग्राम तक डस्ट निकल रही है.
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री मूणत ने कहा कि भ्रष्टाचार का यह शर्मनाक खेल पूरे प्रदेश में हर महकमे का कड़वा सच बन चुका है. बलौदाबाजार स्थित नवीन कृषि उपज मंडी समिति में आंतरिक सड़क निर्माण में ठेकेदार व अफ़सरों की मिलीभगत से फर्जी भुगतान कर शासन को लाखों रुपए का चूना लगाया गया है, जिसका खुलासा आरटीआई के तहत दी गई जानकारी में हुआ है.
पूर्व मंत्री ने कहा कि अधिकारियों ने अपने चहेते ठेकेदार को उपकृत करने पूर्व में स्वीकृत लागत राशि 187 लाख रुपए को बिना निविदा बुलाए लगभग 1001 फीसदी बढ़ाकर 352 लाख रुपए कर दिया गया. मूणत ने कहा कि पूरे प्रदेश में कमीशनखोरी का नग्न तांडव चल रहा है और प्रदेश सरकार का मौन इस आशंका को बल प्रदान कर रहा है कि भ्रष्टाचार का यह शर्मनाक दौर सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रहा है.