बिलासपुर- लॉकडाउन से जूनियर अधिवक्ताओं को हो रही आर्थिक संकट परेशानियों को लेकर दायर याचिका पर आज हाईकोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से दोबारा सुनवाई हुई.याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस गौतम भादुड़ी ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए छत्तीसगढ़ बार कौंसिल एवं अधिवक्ता कल्याण के लिए बनी  ट्रस्टी  कमिटी पर इस मामले में जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर नाराजगी जाहिर की,हाईकोर्ट ने मामले की एक सप्ताह के भीतर बार कांसिल और राज्य सरकार से इस मामले में जवाब प्रस्तुत करने को कहा है.गौरतलब है कि इस मामले में हुई पिछली सुनवाई में भी हाईकोर्ट ने संबंधितों से जवाब मांगा था,लेकिन आज तक कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया जा सका है.
हाईकोर्ट में आज हुई सुनवाई के बारे में जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता राजेश केशरवानी के अधिवक्ता संदीप दुबे ने बताया कि हाईकोर्ट की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए, छत्तीसगढ़ बार कौंसिल एवं अधिवक्ता कल्याण के लिए बनी  ट्रस्टी  कमिटी, जिसके सचिव विधि विभाग के विधि सचिव होते है, उनसे माननीय न्यायालय ने पूछा कि वकीलों के मदद के लिए क्या कर रहे हैं,हाईकोर्ट ने ट्र्स्टी कमेटी से पूछा कि जूनियर अधिवक्ताओं के लिये क्या योजना बनायी और इसके बारे मे कोई जवाब क्यों प्रस्तुत नहीं किए गया. संदीप दुबे ने बताया कि हाईकोर्ट ने बार कौंसिल को कड़े शब्दों मे कहा कि अगली सुनवाई तक योजना और क्या और कितने को मदद किये,ये बताना होगा,हाईकोर्ट ने कहा कि बार कौंसिल इस संकट मे क्या कर रही है, उसका स्कीम बताये, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि एडवोकेट जनरल सतीशचंद्र वर्मा को भी कहा कि आप भी अगले सुनवाई तक जवाब दे देवें कि सरकार वकीलों के लिये क्या कर रही है.
यहां यह बता दें कि कोरोना महामारी के कारण जिस प्रकार से भारत में प्रधानमंत्री एवं राज्य सरकार द्वारा देश सहित छत्तीसगढ़ राज्य में 25 मार्च से लाक डाउन  की गई है, जिसके तारतम्य में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा 25 मार्च से नोटिफिकेशन जारी करके प्रदेश के सभी न्यायालय उच्च न्यायालय सहित जिला न्यायालय तहसील न्यायालय सभी राजस्व न्यायालय विभिन्न प्रकार के अभिकरण के बंद करने का आदेश दिए है, जिसके कारण से जूनियर अधिवक्ता जिनकी प्रैक्टिस 7 वर्ष से कम है उनके समक्ष रोजी रोटी की संकट उत्पन्न हो गई है,याचिका में कहा गया है कि यह लाक डाउन अभी और बढ़ने की संभावना है, उसके पश्चात मई जून मे न्यायालय की ग्रीष्म कालीन छुट्टियों को देखते हुए, ऐसे समय में छत्तीसगढ़ विधिक परिषद एवं अधिवक्ता कल्याण अधिनियम के तहत गठित समिति, जिसमें राज्य सरकार भी सम्मिलित है, एवं अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा छह के तहत यह उपबंध किया गया है कि जरूरत के समय पर राज्य विधिक परिषद जरूरतमंद वकीलों, विकलांग वकीलों को सभी तरह की सहायता करेगी.वित्तीय सहायता सहित मदद करेगी.विश्वव्यापी कोरोना महामारी के संकट में इन  उपबंधो  के तहत अधिवक्ताओं की सहायता के लिए आकस्मिक निधि बनाकर योजना तैयार कर शीघ्र ही एक रुप से कमजोर अधिवक्ताओं की मदद छत्तीसगढ़  विधिक परिषद को करनी चाहिए.इसके अलावा विधिक परिषद को लोन के रूप में बिना ब्याज के वित्तीय सहायता अधिवक्ताओं के लिए करनी चाहिए. साथ ही साथ अधिवक्ताओं के साथ जुड़े क्लर्क फोटोकॉपी चालान कर्ता,अधिवक्ताओं के साथ जुड़े अन्य सभी की मदद भी इस विकट परिस्थिति में राज्य अधिवक्ता परिषद एवं राज्य सरकार को आगे आकर करनी चाहिए.
याचिका में यह मांग की गई है कि उच्च न्यायालय राज्य अधिवक्ता परिषद को निर्देश दे कि वह गाइडलाइन तैयार कर अधिवक्ताओं की मदद करे, जिनकी प्रैक्टिस 7 वर्ष से कम हो. इसके अलावा एक समिति का भी गठन शीघ्र किए जा किया जाए,जिसके माध्यम से जूनियर अधिवक्ताओं को मदद मिल पाए,साथ ही ऐसी भी स्कीम बनाई जाए जिस पर क्लर्क एवं उनसे जुड़े लोगों को वित्तीय मदद प्राप्त हो पाए.