लखनऊ के आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) में बाहरी व्यक्ति को काउंटर पर बैठाने का मामला सामने आया है. जिसमें आरटीओ के एक कर्मचारी पर आरोप लगा है. इस घटना ने कार्यालय की कार्यशैली और प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. कनिष्ठ सहायक गजेंद्र सिंह पर आरोप है कि उसने एक बाहरी व्यक्ति को अपने काउंटर पर बिठाकर अनधिकृत कार्य करने की अनुमति दी थी. इस मामले में जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर आरटीओ को भेज दी है.

जानकारी के अनुसार, आरटीओ कार्यालय में आम नागरिकों के लिए बने काउंटर पर एक बाहरी व्यक्ति को बैठाने का मामला उजागर हुआ है. काउंटर पर बाहरी व्यक्ति को बैठाना न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि इससे कार्यालय में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का भी खतरा बढ़ता है. इस मुद्दे को लेकर आरटीओ कार्यालय में हलचल मच गई और जांच अधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कनिष्ठ सहायक गजेंद्र सिंह पर आरोप तय किए हैं.

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जांच रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद इस मामले की गहनता से जांच के बाद जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट आरटीओ को सौंप दी है. रिपोर्ट के मुताबिक कनिष्ठ सहायक गजेंद्र सिंह पर आरोप है कि उन्होंने नियमों की अनदेखी करते हुए एक बाहरी व्यक्ति को काउंटर पर बैठने दिया. इसके कारण आरटीओ कार्यालय की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा है. साथ ही अधिकारियों के प्रति आमजन में अविश्वास बढ़ा है. रिपोर्ट में ये भी उल्लेख किया गया है कि अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी.

कर्मचारी को मिली मोहलत

आरटीओ कार्यालय ने आरोपित लिपिक गजेंद्र सिंह को अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया है. कार्यालय ने इस मामले में संतोषजनक स्पष्टीकरण मांगा है. यदि वह जवाब देने में विफल रहे, तो उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की बात भी कही गई है. ये कार्रवाई एक उदाहरण साबित होगी जिससे भविष्य में कोई भी कर्मचारी नियमों की अवहेलना न कर सके. इस घटना ने लखनऊ के आरटीओ कार्यालय की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. एक सरकारी कार्यालय में बाहरी व्यक्ति का बैठाया जाना कार्यालय के लिए गंभीर चुनौती है और इससे सरकारी कार्यों की गोपनीयता पर भी खतरा मंडराने लगता है. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ऐसे मामलों पर सख्त निगरानी और जवाबदेही होनी चाहिए ताकि जनता का भरोसा बना रहे.

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सीएम के निर्देश को भी ठेंगा?

बता दें कि सरकारी कार्यालयों में बाहरी लोगों की मौजूदगी को लेकर योगी सरकार पहले से ही सख्त है. इस संबंध में सरकार ने आदेश भी दे रखा है कि किसी भी सरकारी कार्यालय के अंदर बाहरी व्यक्ति की मौजूदगी वर्जित रहेगी. इसके बाद भी ऐसा पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. सीएम के निर्देश के बाद भी ऐसे मामले सामने आना कर्मचारियों की गंभीरता पर शंका पैदा करता है.