रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राजधानी के कोविड सेंटर्स में पदस्थ 150 जूनियर डॉक्टर्स के हड़ताल पर चले जाने को प्रदेश सरकार की राजनीतिक व प्रशासनिक सूझबूझ पर प्रश्नचिह्न बताया है। डॉ. सिंह ने कहा कि यह स्थिति बताती है कि प्रदेश सरकार कोरोना की रोकथाम और कोरोना वॉरियर्स की दिक्कतों को लेकर पूरी तरह संवेदनहीन है और प्रदेश को लगातार भयावह ख़तरों से जूझने के लिए बाध्य कर रही यह प्रदेश सरकार अपनी सियासी नौटंकियों और नाकारापन से उबरने को तैयार ही नहीं है।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि कोविड सेंटर्स में पदस्थ जूनियर डॉक्टर्स के हड़ताल पर चले जाने से तमाम व्यवस्थाएँ ठप पड़ गई हैं और कोरोना संक्रमितों का उपचार भगवान भरोसे छोड़ प्रदेश सरकार झूठ की राजनीति कर झूठी वाहवाही बटोरने में ही मशगूल है। इन आंदोलित डॉक्टर्स को पिछले पाँच माह से स्टायफंड नहीं मिलने पर तीखा कटाक्ष करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार क्वारेंटाइन सेंटर्स में 580 रुपए प्रतिकिलो टमाटर ख़रीदने और बोर के पानी को सीलबंद बोतल का पानी बनाने में इतनी मशगूल थी कि उसे इन जूनियर डॉक्टर्स को स्टायफंड देने की ही सुध नहीं रह गई। डॉ. सिंह ने कहा कि जूनियर डॉक्टर्स की यह हड़ताल कोई पहला मामला नहीं है। प्रदेश सरकार के निकम्मेपन के चलते कोरोना वॉरियर्स क़रीब 450 डॉक्टर्स ने पहले भी इस्तीफे की पेशकश की थी। लगातार हर मोर्चे पर विफलता इस प्रदेश सरकार के कार्यकाल को कलंकित कर रही है लेकिन प्रदेश सरकार कोई सबक सीखने की इच्छाशक्ति ही नहीं दिखा रही है।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने प्रदेश सरकार पर कोरोना वॉरियर्स के प्रति लगातार अपमानजनक रवैया अपनाने का आरोप लगाकर कहा कि प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार और वादाख़िलाफ़ी ने इस छोटे-से कार्यकाल में जो मिसाल क़ायम की है, उसके चलते प्रदेश का हर कोना इन दिनों असंतोष और संत्रास के दौर से गुजरने के लिए विवश है। सरगुजा के किसान आंदोलन और राजधानी में शिक्षक भर्ती को लेकर हुए उग्र प्रदर्शन की चर्चा करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रदेश के हर वर्ग के लोगों को कोरोना काल में भी अपनी सेहत को दाँव पर लगाकर आंदोलन करने को बाध्य करने का काम ही किया है। प्रदेश के हर वर्ग और आयुवर्ग के लोग प्रदेश सरकार से इतने हताश हो चले हैं कि वे अपनी जीवनलीला तक ख़त्म करने को विवश हो रहे हैं। नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में सन 2019 में 8.3 फीसदी बढ़ी आत्महत्याएँ इस बात की तस्दीक कर रही हैं।