कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कंडम वाहन एक बड़ी परेशानी बनते जा रहे हैं। हर साल सड़क किनारे, पार्किंग और खाली पड़ी जगह पर यह वाहन बढ़ते ही जा रहे हैं। इनमें लगभग 60 से 70 फीसदी वाहन या तो सरकारी डिपार्टमेंट के है या फिर सरकारी डिपार्टमेंट के जब्त किए गए हैं। यदि इन्हें डिस्पोज करते हुए नीलाम किया जाए तो कई हेक्टर जगह का अन्य कामों में उपयोग किया जा सकेगा। साथ ही सरकारी खजाने में भी करोड़ों की राशि जमा हो सकेगी।

यह तीन तस्वीर है।…वैसे तो तीनों तस्वीरो की जगह अलग-अलग है, लेकिन हालात बिल्कुल एक जैसे हैं। क्योंकि तीनों ही जगह पर कंडम कबाड़ हो चुके वाहन पड़े हुए हैं। यह कहीं रास्ता रोक रहे हैं तो कहीं पार्किंग व्यवस्था को खराब कर रहे हैं। कहीं इन कंडम वाहनों पर झाड़ियां उगने से कीड़े मकोड़े का डर स्थानीय लोगों को सता रहा रहा है।

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कंडम वाहनों की आड़ में लगता है शराबियों का जमावड़ा

पहली जगह ग्वालियर के बसंत बिहार की है। जहां तिराहे पर चार पहिया वाहनों का पुराना गैराज है। गैराज के बाहर सड़क पर अतिक्रमण कर 03 कंडम हो चुके वाहनों को खड़ा कर दिया गया है। यह कंडम वाहन बसंत बिहार जैसे पॉश इलाके से गुजरने वाले वाहनों के रास्ते को तो कम कर ही रहे हैं। दूसरी ओर गैराज बंद होने के बाद यहां शराबियों का जमावड़ा इन कंडम वाहनों की आड़ में हर रोज लगता है। जिसके चलते स्थानीय लोग काफी परेशान हैं। गैराज संचालक रवि प्रताप सिंह का कहना है कि यह गाड़ियां कई महीनों से बाहर रखी हुई है। इनके वाहन मालिकों को कई बार सूचित किया गया है कि वह अपनी गाड़ियां ले जाएं, लेकिन वह नहीं आ रहे हैं। गैराज के अंदर कम जगह होने के कारण मजबूरन इन्हें सड़क पर खड़ा किया गया है क्योंकि कबाड़ हो चुके इन वाहनों को वाहन मालिक की अनुमति के बिना बेचा भी नहीं जा सकता है।

स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान में पार्किंग को घेरा

दूसरी जगह ग्वालियर के सिटी सेंटर स्थित राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान की है। जहां की पार्किंग का लगभग 30 से 40 फीसदी एरिया कंडम वाहनों ने घेर रखा है। जब संभाग लेवल की मीटिंग होती हैं और संभाग भर से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी आते हैं तो मजबूरी में उन्हें सड़क पर पार्किंग करनी पड़ती है। अंदर रखे कंडम वाहनों पर गौर किया जाए तो यह 12 से 18 साल पुराने है। जिनमें काफी संख्या में एम्बुलेंस, बस और स्वास्थ्य अधिकारियों के उपयोग में आ चुके वाहन शामिल है। यदि इन वाहनों की 5 साल पहले नीलामी की जाती तो वर्तमान कीमत से 10 गुना ज्यादा रकम मिलती। हर साल इनकी स्क्रैप वैल्यू घट रही है, ऐसे में राज्य सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।

सर्विस क्वार्टर में कीड़े मकोड़ों का डर

तीसरी तसवीर शहर के थाटीपुर इलाके की है, जहां बड़ी संख्या में सरकारी अधिकारी कर्मचारी सर्विस क्वार्टर में रहते हैं। यहां सीएसपी ऑफिस के पीछे रखे हुए कंडम वाहनों को सर्विस क्वार्टर्स के सामने रखवा दिया गया है। कंडम वाहनों पर गौर किया जाए तो यहां पर 30 से 40 साल पुराने वाहन रखे हुए हैं। सर्विस क्वार्टर में रहने वाले लोगों का कहना है कि इन वाहनों को कई साल से वह ऐसे ही देख रहे हैं इनके ऊपर झाड़ियां उग रही है, बरसात में कीड़े मकोड़ों का डर बना हुआ रहता है। जिस जगह पर इन्हें रखा गया है वहां चौराहा भी है ऐसे में झाड़ियां उगने से अंधा मोड़ बन चुका है लोग हादसे का शिकार भी होते हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद भी नगर निगम और स्थानीय जिला प्रशासन ने अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया है।

ग्वालियर जिले में कंडम वाहनों यानी कबाड़ के आंकड़े पर गौर किया जाए तो…

  • करीब 12 से 15 हजार कंडम वाहन
  • करीब 10 से 13 हजार चार पहिया वाहन
  • करीब 02 से 03 हजार दो पहिया वाहन
  • ग्वालियर की मुख्य सड़क और गलियों में करीब 14 हजार टन से ज्यादा का कबाडा पड़ा है
  • कबाड़े की अनुमानित कीमत लगभग 10 से 20 करोड़
  • करीब 14 से 15 हेक्टेयर जमीन घेरे हुए हैं कबाड़ वाहन

कंडम वाहनों को लेकर ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान का कहना है कि गवर्नमेंट प्रॉपर्टीज के जो पुराने वाहन है, इसके नियम होते हैं इसकी नीलामी की एक पूरी प्रक्रिया होती है उसके आधार पर एक बेस प्राइस फिक्स की जाती है और फिर नीलामी के आधार पर उसे बेचा जाता है। प्राप्त राशि को शासकीय कोष में जमा किया जाता है। सभी विभाग इस प्रक्रिया को करते हैं। हम रेगुलरली इस बिंदु को बैठकों के दौरान चर्चा में भी लेते हैं काफी प्रॉपर्टी ऐसी भी है जो स्टेट गवर्नमेंट की है ऐसे में जब स्टेट गवर्नमेंट की भूमिका आ जाती है तो उनकी एनओसी लेने की प्रक्रिया पूरी करनी होती हैं, उसके बाद ही आगे की प्रक्रिया की जा सकती है, इस प्रकार इनका डिस्पोजल किया जाता है।

बहरहाल लल्लूराम डॉट कॉम के उठाये गए इस मुद्दे पर यदि जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासन सक्रिय होता है तो कई हेक्टेयर जमीन खाली होगी, जिसका सही समय पर सही उपयोग किया सकेगा। वहीं दूसरी ओर सरकार के राजकोष में करोड़ों की राशि भी जमा हो सकेगी।

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