रायपुर. बृहस्पति लगभग 12 वर्षों बाद 13 अप्रैल को 3 बजकर 48 मिनट पर अपनी स्वराशि मीन में प्रवेश कर रहे हैं. इससे पहले ये मई 2010 से मई 2011 के मध्य मीन राशि में गोचर कर रहे थे, उसके उपरांत अब पुनः मीन राशि में आए हैं. जिसके फलस्वरूप कई राशियो के लिए ‘हंस योग’ का निर्माण होगा.

हंस योग को एक बेहद शुभ योग माना जाता है. जिसका संबंध देवगुरु बृहस्पति से होता है. यदि गुरु अपनी स्वराशि मीन या धनु अथवा उच्च राशि कर्क में स्थित होकर जन्म कुंडली के केन्द्र स्थान में हो तो ऐसे में हंस नामक योग बनता है. इस राशि पर ये 23 अप्रैल 2023 तक गोचर करेंगे उसके बाद मेष राशि में चले जाएंगे.

कहा जाता है कि किसी की जन्मकुंडली में समस्त ग्रह खराब हो और अगर गुरू एक अकेला ग्रह अच्छी स्थिति में हो तो जीवन के सारे कष्ट दूर करने की ताकत रखते हैं अतः बृहस्पति का राशि परिवर्तन पृथ्वी वासियों पर सीधा असर दिखाई देता है. बृहस्पति जैसे शुभ ग्रह का वक्री होना ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्वपूर्ण स्थिति माना जाता है. किसी व्यक्ति की कुंडली का अध्ययन करते समय बृहस्पति की स्थिति अवश्य देखी जाती है, क्योंकि यह सर्वाधिक शुभ ग्रह होने के साथ-साथ संतान, धन तथा दांपत्य जीवन का मुख्य ग्रह है.

वैदिक ज्योतिष के अंतर्गत सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है, तो बृहस्पति को ग्रहों की सभा में मुख्य सलाहकार अर्थात मंत्री का दर्जा प्राप्त है. जब बृहस्पति ग्रह वक्री हो जाता है तो उसके चेष्टा बल में वृद्धि हो जाती है, जिसके कारण वह अपने फलों को और विस्तार देता है.