दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) में एक गंभीर रेप मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को नया मोड़ आया। जस्टिस अमित महाजन(Amit Mahajan) ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया। यह मामला एक 51 साल के वरिष्ठ वकील से जुड़ा है, जिस पर 27 वर्षीय महिला वकील ने बार-बार रेप और मारपीट का आरोप लगाया है। जज ने कहा कि उन्होंने पहले ही आरोपी की अग्रिम जमानत रद्द कर दी थी, इसलिए इस मामले की दोबारा सुनवाई करना अपने फैसले की समीक्षा जैसा होगा।
कोर्ट में जस्टिस अमित महाजन ने आरोपी के वकील विकास पाहवा से कहा, “मेरा मन पहले ही बन चुका है। नवंबर में मैंने जमानत रद्द की थी और परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ।” विकास पाहवा ने तर्क दिया कि अब हालात बदल गए हैं। सूत्रों के अनुसार, पीड़िता और आरोपी के बीच 29 नवंबर को समझौता हुआ, जिसमें महिला ने कहा कि उसकी कोई शिकायत नहीं बची। जांच पूरी हो चुकी है, चार्जशीट दाखिल है और हिरासत में पूछताछ की अब आवश्यकता नहीं है। जस्टिस महाजन ने दोनों याचिकाओं को खारिज करने का संकेत दिया, लेकिन आरोपी को दूसरी बेंच में सुनवाई का मौका देने का निर्णय लिया। अगली सुनवाई की तारीख 22 दिसंबर तय की गई है।
ट्रायल कोर्ट ने भी ठुकराई जमानत
इससे पहले 15 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने 20 पेज के आदेश में कहा कि गंभीर आरोपों के बावजूद पीड़िता के बयानों में कई बड़े विरोधाभास पाए गए। जानकारी के अनुसार, 26 नवंबर को पीड़िता ने प्रोटेस्ट पिटिशन दाखिल करने के लिए समय मांगा था, लेकिन तीन दिन बाद ही समझौता कर लिया। बाद में उन्होंने कोर्ट को सूचित किया कि प्रोटेस्ट आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
पहले का फैसला और जजों पर कार्रवाई
यह मामला नवंबर के उस फैसले से जुड़ा है, जब जस्टिस अमित महाजन ने आरोपी की जमानत रद्द की और उसे सरेंडर के लिए एक हफ्ते का समय दिया। उसी आदेश में दो जिला जजों के खिलाफ प्रशासनिक जांच के निर्देश भी दिए गए थे। उन पर पीड़िता को आरोप वापस लेने का दबाव बनाने का इल्जाम था, जिसे कोर्ट ने न्याय व्यवस्था पर गंभीर हमला बताया।
इसके बाद अगस्त में हाईकोर्ट की फुल कोर्ट मीटिंग में जज संजीव कुमार सिंह को सस्पेंड कर दिया गया, जबकि दूसरे जज अनिल कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई। पीड़िता की शिकायत पर ऑडियो रिकॉर्डिंग्स भी सबूत के तौर पर पेश की गई थीं।
पीड़िता का एक और गंभीर आरोप
महिला ने यह भी बताया कि जनवरी 2025 में आरोपी के वकील ने उन्हें एक तत्कालीन हाईकोर्ट जज से मिलवाया और वादा किया कि उन्हें लॉ रिसर्चर की नौकरी दिलवाई जाएगी। यह केस अब दूसरी बेंच के सामने जाएगा। कानूनी हलकों में चर्चा है कि समझौता कितना स्वैच्छिक था। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगली सुनवाई में नए खुलासे हो सकते हैं।
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