रायपुर. लंबे समय से विवादो में रहे हिदायतुल्लाह लॉ यूनिवर्सिटी का विवाद अब शांत हो गया है. यूनिवर्सिटी के कुलपति सुखपाल सिंग को छात्रों द्वारा इस्तीफा देने की मांग पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. जिसके बाद आज से लॉ यूनिवर्सिटी के नए कुलपति जस्टिस सीबी बाजपेयी होंगे. हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस अनिल त्रिपाठी ने आज उनकी नियुक्ति पर मुहर लगा दिया है.गौरतलब है कि बाजयेपी लॉ यूनिवर्सिटी के पहले कुलपति होंगे,जो मूल रुप से छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं.जस्टिस बाजपेयी बिलासपुर के रहने वाले हैं,उनकी स्कूली शिक्षा बिलासपुर में हुई और इसके अलावा उन्होनें बिलासपुर के सीएमडी कॉलेज से ग्रेजुएशन और कौशलेन्द्र राव विधि महाविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की. जस्टिस बाजपेयी का न्यायिक सेवा में लंबा अनुभव रहा है. वे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चार साल तक जज भी रह चुके हैं.जस्टिस बाजपेयी की नियुक्ति की सूचना मिलते ही गृहनगर बिलासपुर में खुशी की लहर दौड़ गई है.

गौरतलब है कि हिदायतुल्लाह लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति सुखपाल सिंग से छात्रों का लंबे समय से विवाद चल रहा था. छात्र यूनिवर्सिटी से इस्तीफा देने की मांग कर रहे थे. जिसके बाद बिलासपुर हाइकोर्ट ने उन्हें हटाने का आदेश दिया था, लेकिन सुखपाल सुप्रीम कोर्ट से स्टे आर्डर लेकर फिर से यूनिवर्सिटी जॉइन कर लिए थे. इसके बाद छात्रों का आंदोलन और तेज हो गया था. छात्र भूख हड़ताल पर उतर आए थे.

सुखपाल सिंह छात्रों का हंगामा और विवाद को बढ़ता देख खुद ही कुलपति से पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद आज हाइकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए नए कुलपति की नियुक्ति पर मुहर लगा दी है. कुलपति जस्टिस बाजपेयी बिलासपुर हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस हैं. इसी साल जनवरी में रिटायर्ड हुए है.

बता दें कि इससे पहले सुखपाल सिंह के फिर से कार्यभार संभालने के बाद छात्र-छात्राओं ने फिर प्रदर्शन शुरू कर दिया था. छात्र-छात्राओं ने कुलपति पर कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और यौन उत्पीड़न के आरोपों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई में असफल रहने के आरोप लगाए हैं. कुलपति का कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्हें सेवा विस्तार मिलने की वजह से छात्र-छात्राएं उनके इस्तीफे की मांग को लेकर इससे पहले 27 अगस्त को धरने पर बैठे थे. इसके साथ ही लाइब्रेरी के लिए टाइम को बढ़ाना, मोरल पुलिसिंग खत्म करना, यौन उत्पीड़न मामलों में कार्यवाही के लिए कमेटी का गठन, स्वतंत्र वॉर्डन की नियुक्ति और छात्र-छात्राओं की प्रतिक्रिया लेने के लिए व्यवस्था बनाने की मांगें शामिल थी.