वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी इन दिनों डायरिया से पीड़ित है. बिलासपुर में डायरिया ने अपना पांव पसार लिया है. शहर में डायरिया से पीड़ित 100 से ज्यादा मरीजों की पहचान की गई है. तीन दिनों से बिलासपुर में डायरिया का प्रकोप तेजी से फ़ैल और पसर रहा है. लगातार मरीजों की संख्या में इजाफा भी होने लगा है, डायरिया से ग्रसित मरीजों में दो लोगो की जान जा चुकी है, जिससे हडकंप मचा हुआ है. वहीं स्वास्थ्य विभाग डायरिया महामारी को कंट्रोल करने के लिए कैम्प लगा रहा है.
शहर के चांटीडीह स्थित वार्ड नंबर 55, 56 और 59 में पिछले तीन दिनों से डायरिया के मरीज मिल रहें है, जिसमें उल्टी, दस्त, बुखार और कमजोरी की समस्या को लेकर मरीज सामने आ रहें हैं. स्वास्थ्य विभाग ने दस्त रोगी शिविर लगाकर मरीजों का उपचार करते हुए दवाओं का वितरण कर रहे हैं.
वहीं गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों को जिला अस्पताल और सिम्स अस्तपाल में रेफर किया जा रहा है. चांटीडीह क्षेत्र के रामायण चौक और मुस्लिम मोहल्ले में दूषित और गंदा पानी की पाइप से सप्लाई होने की वजह से महामारी फैली हुई है. इनमें पिछले दो दिनों में करीब 52 लोगो को सिम्स अस्पताल में दाखिल किया गया.
इनमें कमला मिश्रा उम्र 65 वर्ष और अनीश कुरैशी उम्र 70 वर्ष की मौत समेत दो लोगों की मौत हुई है. दर्जनों गंभीर रूप से बीमार है, जिनका उपचार अस्पताल में चल रहा है.इन मरीजों को कैम्प में मेट्रोनीडाजोल, ओआरएस, जिंक समेत आदि दवाओं का वितरण किया जा रहा है.
स्वास्थ्य विभाग की टीम मितानीनों के साथ घरों -घर सर्वे कर रही है. वहीं बढ़ते मरीजों की संख्या को कंट्रोल करने इलाज चल रहा है. आज करीब 124 मरीजों का उपचार और ओपीडी जांच किया गया. डायरिया को कंट्रोल करने की हर संभव कोशिश की जा रही है. लोगों से पानी उबाल कर पीने की अपील की जा रही है.
नगर निगम के जल विभाग के प्रभारी अजय श्रीवास्तव ने कहा, कि खानपान की वजह से तबीयत बिगड़ी है. बारिश के मौसम में लोगों को खानपान का ख्याल रखना चाहिए, क्लोरीन के साथ पानी सप्लाई किया जा रहा है. पानी का सैम्पल लिया गया है.
चांटीडीह क्षेत्र के लोगों में नगर निगम की लापरवाही और अवस्थाओं को लेकर खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है. वार्डों में बजबजाती नालियां, सड़कों पर चारों तरफ बिखरा कचरा, नालियों से गुजरता पाइप लाइन और गंदगी ही पसरी हुई है, लेकिन तीन दिनों से डायरिया के दस्तक देने और दो मौत के बाद नगर निगम प्रशासन जागा है.
शहर की इन बस्तियों में बारिश के दिनों में हर साल डायरिया का प्रकोप देखने को मिलता है. बावजूद इसके निगम प्रशासन ध्यान नहीं देता, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है.
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