नई दिल्ली– केंद्र सरकार ने जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किया है. मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. जस्टिस घोष की पहचान मानवाधिकार मामलों के विशेषज्ञ के तौर पर रही है. वे 2017 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे. अभी वे राष्ट्रीय मानव अधिकार के सदस्य भी हैं.

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रख्यात कानूनविद मुकुल रोहतहगी की चयन समिति ने उनका नाम तय किया. इसके बाद फाइल को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था.

न्यायिक सदस्यों की टीम में पांच सदस्य शामिल किए गए

साथ ही लोकपाल कमेटी के न्यायिक सदस्यों की टीम में पांच सदस्य शामिल किए गए हैं. न्यायिक सदस्यों के तौर पर जस्टिस दिलीप बी भोंसले, जस्टिस अभिलाषा कुमारी, जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती, जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी होंगे. न्यायिक सदस्यों के साथ ही कमेटी में 4 अन्य सदस्यों के तौर पर दिनेश कुमार जैन, महेंद्र सिंह, अर्चना रामसुंदरम और डॉक्टर इंद्रजीत प्रसाद गौतम भी शामिल किए गए हैं.

कौन हैं जस्टिस पीसी घोष

जस्टिस घोष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं. वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे हैं. जस्टिस घोष ने ही जयललिता की सहयोगी रही शशिकला को आय से अधिक संपत्ति मामले में फैसला सुनाया था. वह अपने फैसलों में मानवाधिकारों की रक्षा की बात बार-बार करते थे. जस्टिस घोष को मानवाधिकार कानूनों पर उनकी बेहतरीन समझ और विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है.

आपको बता दें कि लोकपाल नियुक्ति की सिलेक्ट कमेटी में प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस या उनके द्वारा नामित जज, नेता विपक्ष, लोकसभा अध्यक्ष और एक जूरिस्ट होता है. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल कमेटी की बैठक में शामिल लेने से इनकार कर सरकार पर मनमानी का गंभीर आरोप लगाया था. तमाम विरोध के बाद आखिरकार मोदी सरकार ने चुनावों से पहले लोकपाल नियुक्त करने का फैसला किया है.