फीचर स्टोरी । छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. बंपर धान उत्पादक यह राज्य कृषि प्रधान है. यह राज्य किसानों का राज्य है और इसी किसानों के राज्य में आज हर मोर्चे पर न्याय भी हो रहा है. बीते 4 सालों में खेती-किसानी को लेकर सरकार कई योजनाएं शुरू की और परिणाम किसानों के अनुकूल रहा. राज्य के किसानों की बढ़ती आय ने ना सिर्फ किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत किया है, बल्कि उन्नति, प्रगति और समृद्धि की ओर तेजी से ले जाने का काम किया है.

भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री बनने के बाद कर्जा माफी के साथ किसानों के हित में कल्याणकारी फैसले लेने शुरु किए. शुरुआत हुई राजीव गांधी किसान न्याय योजना के साथ. इस योजना का लाभ आज राज्य के लाखों किसान परिवारों को हो रहा है. इस योजना के बाद भूमिहीन खेतिहर मजदूरों के लिए भी योजना बनाई गई. भूमिहीन खेतिहर मजदूर न्याय योजना. किसानों को सीधा और अधिक लाभ पहुंचाने वाली इन योजनाओं ने किसानों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने का काम किया है इससे इंकार नहीं किया जा सकता.

आइये राज्य सरकार की ओर से किसानों के हित में किए गए कुछ कार्यों पर एक नजर डाले और देखते हैं किस तरह खेती का रकबा बढ़ रहा, पंजीकृत किसानों की संख्या बढ़ रही है, कैसे हर साल धान का उत्पादन बढ़ रहा हौ रिकॉर्ड खरीदी हो रही है.

रिकॉर्ड धान खरीदी

राजीव गांधी किसान न्याय योजना के साथ समर्थन मूल्य न सिर्फ खरीदी जा रही है, बल्कि 4 किस्तों पर अंतर की शेष राशि भी दी जा रही है. इस योजना के आने के बाद वे किसान जो खेती छोड़कर कर लौट चुके थे, या जो धान की खेती को घाटे का सौदा मान रहे थे वह फिर धान की खेती कर रहे हैं और बंपर उत्पादन ले रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक बीते वर्ष लगभग 21.77 लाख किसानों से 98 लाख मीट्रिक टन रिकार्ड धान खरीदी की. वर्ष 2018-19 में पंजीकृत धान का रकबा जो 25.60 लाख हेक्टेयर था, जो आज बढ़कर 30.44 लाख हेक्टेयर हो गया है. इन चार वर्षो में पंजीकृत किसानों की संख्या 16.92 लाख से बढ़कर 25.12 लाख के पार जा पहुंची है. खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में 80.30 लाख मीट्रिक टन, वर्ष 2019-20 में 83.94 लाख मीट्रिक टन, 2020-21 में 92.06 लाख मीट्रिक टन और वर्ष 2021-22 में रिकार्ड 98 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई. इस वर्ष किसानों से 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का अनुमान है.

ऑनलाइन भुगतान

किसानों को जल्द से जल्द भुगतान किया जा सके इसकी व्यवस्था लगातार बेहतर की की जा रही है. किसानों को उनके बैंक खातों के जरिये ऑनलाईन भुगतान किया जाएगा. किसानों को पिछला खरीफ सीजन में धान खरीदी के एवज में 19,084 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान कर दिया गया है. किसानों-ग्रामीणों की सहूलियतों को ध्यान में रखते हुए नवीन धान खरीदी केन्द्र प्रारंभ किए गए. इस वर्ष 2 हजार 497 से अधिक धान उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी व्यवस्था की गई.

कर्जा माफी

छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में किसान कर्ज में डूबे हुए थे. किसानों को कर्जा से उबारने भूपेश सरकार ने बड़ा काम किया. कर्जा माफी के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगी. किसान आर्थिक रूप से संपन्न होने लगे. वर्ष 2018 में लगभग 18 लाख 82 हजार किसानों पर चढ़ा अल्पकालीन कृषि ऋण लगभग 10 हजार करोड़ रुपये माफ किया. वहीं 244.18 करोड़ रुपये के सिंचाई कर की माफी ने भी खेती-किसानी और किसानों के दिन बहुराने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया. पिछले चार सालों में विभिन्न माध्यमों से किसानों-मजदूरों और गरीबों की जेब में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि डाली गई है. इसका परिणाम यह रहा कि कोरोना संकट में जहां देश में आर्थिक मंदी रही, वहीं छत्तीसगढ़ में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा.

शून्य प्रतिशत ब्याज

किसानों को कई छूट के साथ ही शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण भी दिया जा रहा है. इससे किसानों को खेती में काफी मदद मिल रही है. एक तरह से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के साथ-साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी देने का फैसला क्रांतिकारी सिद्ध हुआ. छत्तीसगढ़ में ऐसे किसान जिनके पास सिंचाई सुविधा थी, उन्हें दोहरी फसल लेने का अवसर मिल रहा है.

कृषि पंप अनुदान

वहीं कृषि पंपों के ऊर्जीकरण के लिए प्रति पम्प एक लाख अनुदान राशि भी दी जा रही है. कृषक जीवन ज्योति योजना के अंतर्गत कृषकों को 3 अश्वशक्ति तक कृषि पम्प के बिजली बिल में 6000 यूनिट प्रति वर्ष एवं 3 से 5 अश्वशक्ति के कृषि पम्प के बिजली बिल में 7500 यूनिट प्रति वर्ष छूट दी जा रही है. इस छूट के अलावा कृषकों को फ्लेट रेट दर पर बिजली प्राप्त करने का विकल्प भी दिया गया है. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए विद्युत खपत की कोई सीमा नहीं रखी गई है.

कोदो-कुटकी-रागी

छत्तीसगढ़ में धान के साथ-साथ अब कोदो-कुटकी और रागी की खरीदी भी समर्थन मूल्य पर हो रही है. इसे राजीव गांधी किसान न्याय योजना में शामिल किया गया है. कोदो, कुटकी और रागी के उत्पादक किसानों को इस योजना के तहत प्रति एकड़ के मान से 9 हजार रुपये की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान किया गया है. धान के बदले अन्य फसलों की खेती या वृक्षारोपण करने वाले किसानों को 10 हजार रुपये प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी दी जा रही है.

खेतिहर मजदूर और 7 हजार

छत्तीसगढ़ में किसानों के बीच एक बड़ा वर्ग भूमिहीन खेतिहर मजदूरों का भी है. ऐसे वर्ग के किसानों के लिए एक योजना चलाई जा रही है. भूमिहीन खेतिहर मजदूर न्याय योजना है. इस योजना के तहत किसानों को सालाना 7 हजार रुपये दी जा रही है. जानकारी के मुताबिक 4 लाख 66 हजार ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवार को प्रति वर्ष 7 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जा रही है.