नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति पद के लिए INDIA गठबंधन के उम्मीदवार और सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को 2011 के अपने ऐतिहासिक फैसले के लिए याद किया जाता है, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ के सलवा जुडूम को असंवैधानिक घोषित किया था.

मौलिक अधिकारों की रक्षा पर आधारित उनके फैसले ने इस बात पर ज़ोर दिया कि राज्य प्रायोजित सतर्कता संवैधानिक पुलिस व्यवस्था का स्थान नहीं ले सकती. नंदिनी सुंदर बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में न्यायमूर्ति रेड्डी की अध्यक्षता वाली पीठ ने माना कि सलवा जुडूम के तहत आदिवासी युवाओं को विशेष पुलिस अधिकारी के रूप में हथियार देना अवैध और असंवैधानिक था.

अदालत ने मिलिशिया को तत्काल भंग करने, हथियारों की बरामदगी और केंद्रीय वित्त पोषण बंद करने का आदेश दिया, और इस बात पर ज़ोर दिया कि राज्य को अशांति को कानून-व्यवस्था की समस्या बनाने के बजाय इसके मूल कारणों का समाधान करना चाहिए.

जीवन परिचय

इंडी गठबंधन के उप राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बी सुदर्शन रेड्डी का जन्म तेलंगाना के रंगारेड्डी ज़िले के कंदूर मंडल के अकुला मायलाराम गाँव में 8 जुलाई, 1946 को एक कृषक परिवार में हुआ था. हैदराबाद में शिक्षा प्राप्त की और 1971 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि प्राप्त की.

उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में रिट और दीवानी मामलों की वकालत से अपना करियर शुरू किया, बाद में सरकारी वकील (1988-90), केंद्र के अतिरिक्त स्थायी वकील और उस्मानिया विश्वविद्यालय के स्थायी वकील के रूप में कार्य किया.

1995 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त, न्यायमूर्ति रेड्डी 2005 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने और जनवरी 2007 में सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत हुए. वे 8 जुलाई, 2011 को सेवानिवृत्त हुए.