Justice Yashwant Verma Cash Scandal: सरकारी घर में लगी आग के बाद 4-5 बोरियों में जले हुए नोटों के बंडल मिलने के मामले में फंसे दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के चीफ जस्टिस यशवंत वर्मा की पहली प्रतिक्रिय़ा आ गई है। यशवंत वर्मा ने यहां अपने सरकारी आवास पर नोट बरामदगी विवाद में लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है। दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा ने इस बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया है कि उनके घर पर करोड़ों की नकदी मिली थी। जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके आवास पर नकदी मिलने के आरोप स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करना प्रतीत होती है। उन्होंने इस पूरे मामले में साजिश करार दिया।

जस्टिस वर्मा ने कहा कि साफ तौर पर कह रहा हूं कि मेरे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य ने कभी भी कोई नकदी नहीं रखी थी और मैं इस बात की भी कड़ी निंदा करता हूं कि कथित नकदी हमारी थी। वर्मा ने कहा कि उन्हें कभी भी आवास के बाहरी हिस्से में बने स्टोर रूम में नकदी पड़े होने की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि नकदी हमने रखी ये पूरी तरह से बेतुका बयान है।
जस्टिस वर्मा ने आगे कहा कि जहां आग लगी थी, यह एक ऐसा कमरा है, जहां मैं रहता हूं, उससे पूरी तरह अलग है। मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि मेरे खिलाफ आरोप लगने और प्रेस में बदनामी होने से पहले कुछ जांच की होती। जस्टिस वर्मा ने कहा कि मुझे कभी भी आउटहाउस के स्टोररूम में किसी भी पैसे या नकदी के पड़े होने की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि हमें न तो जली हुई नोटों की कोई बोरी दिखाई गईं और न ही सौंपी गई। मैं इस आरोप को पूरी तरह से नकारता हूं और खारिज करता हूं।
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सुप्रीम कोर्ट ने घर के अंदर का वीडियो जारी किया
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जस्टिस वर्मा के घर (Yashwant Verma house) के अंदर का वीडियो जारी किया है। वीडियो में जस्टिस वर्मा के घर के अंदर 4-5 बोरियों में जले हुए नोटों के बंडल दिखाई दे रहे हैं। तस्वीरों में 500-500 के नोटों की गड्डियां जले हुए साफ दिख रहे हैं। ये वीडियो मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) के आदेश पर जारी किया गया है। मामले से जुड़े दस्तावेज भी वेबसाइट पर डाले गए हैं।
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सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने दिल्ली हाईकोर्ट के वर्तमान जज जस्टिस यशवंत वर्मा के विरुद्ध आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को फिलहाल जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए कहा गया है। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट दी है।
जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित
सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक कमेटी का गठन भी किया गया है। इसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिज जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं।
कौन हैं जस्टिस वर्मा
दिल्ली हाईकोर्ट की वेबसाइट के अनुसार जस्टिस वर्मा आठ अगस्त 1992 को अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए थे। उन्हें 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था। 11 अक्टूबर, 2021 को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने से पहले उन्होंने एक फरवरी, 2016 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। संवैधानिक न्यायालयों के न्यायाधीशों के विरुद्ध आरोपों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आंतरिक जांच तंत्र मौजूद है।
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