दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत शर्मा हाल ही में एक विवाद में शामिल हो गए हैं. उनके दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद जब फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची, तो उन्हें वहां बड़ी मात्रा में नकद राशि मिली. इस घटना के समय जस्टिस शर्मा दिल्ली से बाहर थे. जैसे ही यह जानकारी सामने आई, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने तुरंत कार्रवाई की और उन्हें उनके मूल स्थान इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया. इस ट्रांसफर के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार को सिफारिश की है.

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कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?

जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद (Allahabad) में हुआ था. उन्होंने हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद, 1992 में रीवा विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की. 8 अगस्त 1992 को उन्होंने वकील के रूप में पंजीकरण कराया और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत का कार्य आरंभ किया. जस्टिस यशवंत वर्मा ने अक्टूबर 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की. इससे पूर्व, उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. उन्हें 13 अक्टूबर 2014 को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 1 फरवरी 2016 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. इसके बाद, उन्हें 11 अक्टूबर 2021 को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया.

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जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान श्रम और औद्योगिक कानून, कॉर्पोरेट कानून, कराधान और अन्य संबंधित क्षेत्रों में गहरी विशेषज्ञता हासिल की. उन्होंने 2006 से इलाहाबाद हाईकोर्ट के विशेष वकील के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं. इसके अलावा, जस्टिस वर्मा ने 2012 से अगस्त 2013 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य स्थायी वकील के रूप में कार्य किया, जिसके बाद उन्हें कोर्ट द्वारा वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया.

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इन मामलों के विशेषज्ञ

वह सिविल मामलों में विशेष ज्ञान रखते थे और संवैधानिक, औद्योगिक विवाद, कॉर्पोरेट, कराधान तथा पर्यावरण से संबंधित मामलों का प्रतिनिधित्व करते थे. 2006 से उन्होंने उच्च न्यायालय में विशेष वकील के रूप में कार्य किया और 2012 में उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता के पद पर नियुक्त हुए. अगस्त 2013 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का सम्मान प्राप्त हुआ.

उनका न्यायिक करियर 13 अक्टूबर 2014 को प्रारंभ हुआ, जब उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया. 1 फरवरी 2016 को उन्होंने स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की. इसके पश्चात, 11 अक्टूबर 2021 को उनका स्थानांतरण दिल्ली हाई कोर्ट में किया गया. हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च 2025 को उनके पुनः इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण की सिफारिश की है.

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कई महत्वपूर्ण फैसले दिए

अपने कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए. मार्च 2024 में, कांग्रेस पार्टी द्वारा इनकम टैक्स पुनर्मूल्यांकन के खिलाफ दायर की गई याचिका को उन्होंने खारिज कर दिया था.

जनवरी 2023 में, उन्होंने नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़ ‘Trial by Fire’ पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया. इस मामले में रियल एस्टेट व्यवसायी सुशील अंसल ने अदालत में याचिका प्रस्तुत की थी, जिस पर निर्णय देते हुए जस्टिस वर्मा ने यह स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण आवश्यक है, भले ही सरकारें और न्यायालय कुछ विषयों को प्रकाशित करने के खिलाफ हों.

तबादले की सिफारिश

जस्टिस वर्मा के निवास पर लगी आग के बाद बड़ी मात्रा में नकदी प्राप्त हुई. जब आग लगी, तब जस्टिस वर्मा दिल्ली में उपस्थित नहीं थे, और उनके परिवार के सदस्यों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना दी थी. आग बुझाने के बाद कमरे में काफी नकदी पाई गई, जिससे यह संदेह उत्पन्न हुआ कि यह धन अवैध रूप से रखा गया था. नकदी मिलने के बाद इसका उचित रिकॉर्ड तैयार किया गया और चीफ जस्टिस को इसकी जानकारी प्रदान की गई.

इसके पश्चात कॉलेजियम की बैठक में उनके स्थानांतरण की अनुशंसा की गई. इस घटनाक्रम के बाद कुछ न्यायाधीशों ने यह चिंता व्यक्त की कि केवल स्थानांतरण से न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को हानि हो सकती है, इसलिए जांच और महाभियोग की प्रक्रिया पर भी विचार किया जा रहा है.