कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मोदी मंत्रिमंडल में शपथ लेने वाले 43 नेताओं की सूची बीजेपी ने जारी कर दी है. जिसमें मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी नाम शामिल है. आज शाम को केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. जिसमें सिंधिया समेत सभी 43 नेता शपथ ग्रहण करेंगे. प्रदेश में बीजेपी को सत्ता का सुख लाभ पहुंचाने वाले सिंधिया को बीजेपी ने बड़ा इनाम दिया है. मोदी मंत्रिमंडल में ज्योतिरादित्य सिंधिया, सिंधिया राज घराने के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जो स्वतंत्र भारत के किसी गैर कांग्रेसी मंत्रिमंडल में शामिल हो रहे हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक सफर
पिता की मौत के बाद हुए उप चुनाव में माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बतौर कांग्रेस प्रत्याशी साढ़े चार लाख मतों के अंतर से जीत हासिल की. मई 2004 में फिर से चुना गए, और 2007 में केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्री मण्डल में शामिल किया गया. उन्हें 2009 में लगातार तीसरी बार फिर से चुना गया और इस बार उन्हें वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बनाया गया. 2014 में सिंधिया गुना से फिर चुने गए थे, लेकिन 2019 में कृष्ण पाल सिंह यादव से वह सीट हार गए. यह सिंधिया परिवार के लिए बड़ा झटका था. इससे वे उबर नहीं पाए और अंततः अपने समर्थक विधायकों से इस्तीफा दिलाकर कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिराई और फिर भाजपा में शामिल हो गए. इस्तीफा दिलाने से राज्य में सत्तारून कांग्रेस अल्पमत में और विपक्षी भाजपा बहुमत में आ गई. नतीजन शिवराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा की राज्य में पन्द्रह महीनों के बाद फिर सरकार बन गई. इस बीच भाजपा ने सिंधिया को राज्यसभा सदस्य चुनकर भेज दिया. इसके बाद से ही उनके केंद्रीय मंत्री बनने की अटकलें लगती रहीं, लेकिन कोरोना और पश्चिम बंगाल चुनावों के चलते यह पुनर्गठन लगातार चलता रहा. अब वे मोदी सरकार में मंत्री बन रहे हैं. ऐसे में वे सिंधिया परिवार के पहले व्यक्ति होंगे जो गैर कांग्रेसी सरकार में शामिल होंगे.
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सिंधिया एक्टिव नेता
सिंधिया परिवार की राजनीति को बेहतर जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉ सत्यप्रकाश शर्मा का कहना है कि जब भी किसी नेता को केंद्र में मंत्री बनाया जाता है तो, क्षेत्र विशेष में काफी विकास की उम्मीद रहती है. ज्योतिरादित्य सिंधिया एक्टिव राजनीति के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में वह राज्यसभा की जगह लोकसभा सीट से मंत्री रहना ज्यादा पसंद करेंगे. ऐसे में ग्वालियर के साथ गुना लोकसभा सीट पर विकास कार्यों के प्रयास उनके ज्यादा रहेंगे, लेकिन यह बात भी स्प्ष्ट है कि एक ही अंचल के दो बड़े नेताओं को केंद्र में मंत्री बनाना, अंचल में अंदरूनी आपसी सियासी टकराव के हालात भी बना सकते हैं.
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सिंधिया नेता नहीं, व्यापारी हैं: पूर्व मंत्री
वहीं सिंधिया परिवार के बेहद करीबी माने जाने वाले पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ला ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा है. शुक्ला का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया ने प्रदेश के साथ ग्वालियर चम्बल अंचल का काफी विकास किया था. वह सच्चे राजनेता थे, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया नेता नहीं व्यापारी हैं. वह लाभ हानि को देखते हुए ही किसी काम को करने की सोचते हैं. ऐसे में वह अपने पिता की तुलना में बीजेपी में रहते हुए क्षेत्र के लिए उतना कार्य नहीं कर पाएंगे. उनका यह भी कहना है कि सिंधिया को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर यह बात स्पष्ट हो जाएगी कि लोकतंत्र के खिलाफ जाकर शिवराज सरकार को बनवाने का इनाम दिया जाएगा है. साथ ही अंचल के दमदार नेता केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष बीड़ी शर्मा, नरोत्तम मिश्रा सहित अन्य क्षेत्रीय नेता को हाशिए पर ले लिया जाना माना जाएगा. बीजेपी की रीति नीति जिस तरह की होती जा रही है. उससे कई बीजेपी नेताओं में अंदरूनी नाराजगी शुरू हो चुकी हैं.
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