पूरे देश में 12 नवंबर को काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti) का पावन पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने अधर्म और अहंकार के नाश के लिए भैरव रूप धारण किया था. भगवान कालभैरव को समय के देवता और काशी के कोतवाल कहा गया है. जो भक्त इस दिन सच्चे मन से उनकी पूजा करते हैं, उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और जीवन में हर संकट से रक्षा होती है. पडितों के अनुसार, काल भैरव जयंती पर कुछ सरल उपाय करने से भगवान भैरव अत्यंत प्रसन्न होते हैं.

  1. काले तिल और सरसों के तेल का दीपक जलाकर भैरव जी के समक्ष ॐ भैरवाय नमः मंत्र का जाप करें.
  2. काले कुत्ते को रोटी खिलाना और गरीबों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना गया है. यह कार्य व्यक्ति के दोषों और बुरे कर्मों को शांत करता है.
  3. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु या शनि से जुड़ी परेशानियां हैं, तो इस दिन तेल, काली उड़द और लोहे का दान करने से ग्रहों का प्रकोप शांत होता है.
  4. भैरव जी को मदिरा चढ़ाना व फिर उसे तिलक के रूप में लगाना भी शुभ फल देता है, बशर्ते श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाए.

कहते हैं, जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से भैरव बाबा का ध्यान करता है, उसके जीवन से भय और संकट स्वतः दूर हो जाते हैं. आज का दिन उनके भक्तों के लिए हर दृष्टि से अत्यंत मंगलकारी माना गया है.