Kaal Bhairav Jayanti 2025 : आज की रात्रि, यानी काल भैरव जयंती की रात्रि, तंत्र साधना और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह वह रात्रि होती है जब भैरव ऊर्जा अपने चरम पर होती है और साधक को साधना से तुरंत फल प्राप्त होता है. आध्यात्मिक गुरुओं का कहना है कि काल भैरव तंत्र साधना केवल शुद्ध और संयमित मन वाले व्यक्ति ही करें. इस रात्रि में भैरव कवच का पाठ, भैरव तंत्र मंत्र का जाप और तिल, तेल व काले फूलों से पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है. तंत्र साधना के दौरान उत्तर दिशा की ओर मुख कर ॐ ह्रीं भैरवाय नमः मंत्र का जाप करने से भय, बाधा और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है.

योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही किए उपाय करें

कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस रात काले कुत्ते को तेल लगी रोटी खिलाता है या किसी मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाता है, उसके जीवन में शुभता का वास होता है. कई तांत्रिक और साधक इस रात्रि में भैरव यंत्र स्थापन, तिलक तंत्र शुद्धि, और काली हवन क्रिया जैसे उपाय भी करते हैं, लेकिन ये कार्य केवल योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही किए जाने चाहिए.

आत्मबल और रक्षण साधना की रात्रि

सामाजिक दृष्टि से भी यह रात्रि आत्मशुद्धि और नकारात्मक विचारों से दूरी का प्रतीक है. धार्मिक विद्वानों के अनुसार, भैरव साधना का उद्देश्य किसी को हानि पहुंचाना नहीं, बल्कि अपने भीतर की नकारात्मकता को समाप्त कर सकारात्मक जीवन की ओर अग्रसर होना है. इसीलिए, काल भैरव जयंती की रात्रि को आत्मबल और रक्षण साधना की रात्रि कहा जाता है.