द्वादश ज्योर्तिलिंगों में शामिल भगवान केदारनाथ के कपाट भैयादूज पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए.

रुद्रप्रयाग. द्वादश ज्योर्तिलिंगों में शामिल भगवान केदारनाथ के कपाट भैयादूज पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. इसके साथ ही आज ही यमुनोत्री मंदिर के कपाट भी बंद होंगे. वहीं, बदरीनाथ धाम के कपाट 20 नवंबर को बंद होने हैं. केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद अब शीतकाल के छह माह में भोले बाबा की पूजा अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में संपन्न होगी. वहीं, मां यमुना के दर्शन उनके मायके व शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में कर सकेंगे. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दो दिनों पहले ही भगवान केदारनाथ के दर्शन करने पहुंचे थे.

कपाटबंदी के मौके पर बदरी-केदार मंदिर समिति ने केदारनाथ मंदिर को चारों ओर से 10 कुन्तल फूलों से सजाया हुआ है. वहीं श्रद्धालुओं की भीड़ की ओर से लगाए गए बाबा के जयकारों से पूरी केदारपुरी गूंजती रही. इस दौरान 1785 श्रद्धालु मौजूद थे.

प्रतिवर्ष विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ के कपाट खुलने का समय माहशिव रात्रि पर्व पर तय होती है, जबकि मंदिर के कपाट बंद होने की तिथि पौराणिक परम्परा अनुसार भैयादूज पर्व पर निर्धारित है. इस वर्ष भी आज भैयादूज पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए पौराणिक रीति रिवाजों के साथ बंद कर दिए गए. कपाट बंद होने से पूर्व पुजारी ने मंदिर के गर्भगृह में सुबह तीन बजे से विशेष पूजा अर्चना शुरू कर दी थी. भागवान को भोग लगाने के उपरान्त भक्तों ने केदारबाबा के दर्शन किए. इसके बाद भगवान को समाधि पूजा के बाद गभगृह के कपाट बंद कर दिए गए. अंत में मंदिर के मुख्य कपाट सुबह ठीक 8 बजकर 14 मिनट पर बंद कर दिए गए.  कपाट बंद होने के बाद भगवान की पंचमुखी उत्सव डोली सेना के जेकलाई रेजीमेंट के बेंड की धुनों के साथ अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गई.  केदारनाथ की उत्सव डोली रामपुर में रात्रि विश्राम करेगी.

10 नवंबर को भोले बाबा की डोली रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी. 11 नवंबर को उत्सव डोली पंचशीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी. शीतकाल के छह माह तक यहीं पर भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजाएं व भक्त दर्शन कर सकेंगे.

यमुनोत्री के दोपहर में बंद होंगे कपाट

उत्तरकाशी स्थित विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट आज 12.15 मिनट पर बंद होंगे. मां यमुनोत्री को लेने के लिए खरसाली से शनिदेव की डोली यमुनोत्री के लिए रवाना हो चुकी है. शनिदेव की इस डोली के साथ मां यमुना की डोली खरसाली पहुंचेगी. शीतकाल में पर्यटक व यात्री मां यमुना के दर्शन उनके मायके व शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में कर सकेंगे.

यमुनोत्री धाम के कपाट भयादूज के अवसर पर विधिवत हवन पूजा-अर्चना के साथ बंद किए जाते हैं. शुक्रवार सुबह शनिदेव अपनी बहिन को लेने के लिए खरसाली से यमुनोत्री धाम के लिए डोली से रवाना हुए. दस बजे शनिदेव की डोली यमुनोत्री धाम पहुंचेगी.  विधिवत पूजा अर्चना के बाद कपाट बंद होने के बाद बहिन (यमुना) की अगवायी करते हुए शनिदेव की डोली वापिस खरसाली आएगी.

इस सीजन में केदारनाथ पहुंचे रिकार्ड श्रद्धालु

यह सीजन यात्रा की दृष्टि से बेहद शुभ रहा. अब तक करीब सात लाख तीस हजार से ज्यादा श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं. यह एक रिकार्ड है. इससे पहले वर्ष 2012 में यह आंकड़ा पांच लाख 72 हजार था. इस साल 29 अप्रैल को केदारनाथ के कपाट खोले गए थे. यात्रा के प्रति पहले ही दिन से श्रद्धालुओं में उत्साह दिखने लगा था. पहले ही दिन 25 हजार से ज्यादा भक्तों ने बाबा केदार के दर्शन किए.

शुरुआती दौर में ही प्रतिदिन आठ से दस हजार यात्री केदारनाथ पहुंचने लगी, जो बाद में बढ़कर 20 से 22 हजार हो गया. श्रद्धालुओं के सैलाब को देखते हुए बदरी-केदार मंदिर समिति ने दर्शन का समय बढ़ा दिए. पहले दर्शन दोपहर बाद तीन बजे तक किए जा सकते थे, जिसे शाम सात बजे कर दिया गया.

श्रद्धालुओं की तादाद से उत्साहित बदरी-केदार मंदिर समिति के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी कहते हैं केदरनाथ में दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या में इस वर्ष जबरदस्त इजाफा हुआ है. इससे मंदिर समिति की आय में भी 11 करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि हुई है.

 

पिछले दस वर्षो में यात्रियों का आंकडा

वर्ष          यात्रियों की संख्या

  • 2018         730054
  • 2017         471235
  • 2016         309746
  • 2015         154430
  • 2014         40832
  • 2013         312201
  • 2012         572513
  • 2011         570081
  • 2010         399697
  • 2009         420969