हेमंत शर्मा, इंदौर। शहर के दशहरा मैदान पर भावांतर योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव का धन्यवाद करने पहुंचे हजारों किसान ट्रैक्टर रैली के साथ पहुंचे। मंच पर माहौल तब गर्म हो गया जब कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय माइक संभालने आए। विजयवर्गीय का मालवी अंदाज और तंज भरे बोल पूरे मैदान में गूंज उठे। 

कैलाश बोले- एक जीतू तो सुधर गया, दूसरा बहुत झूठ बोलता है

इसी बीच कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी पर भी सीधा वार कर दिया। उन्होंने, कहा ‘हमारे बिजलपुर में दो जीतू हैं। एक तो सुधर गयो, हमारे साथ आ गयो… पर दूसरा जीतू, वो तो घणो झूठ बोले। अरे झूठ बोलने की भी कोई हद होए! झूठ के सिर-पैर तो होने चिए नी।’

किसानों से की चर्चा

मंच से किसानों की तरफ देखते हुए विजयवर्गीय ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘सवेरे से ताम लोग कितनी बार पोहा खाओगा? हालांकि भोजन तो करना ही है, पर इतनी नाश्ता में भाषण थोड़ा ज्यादा हो जाईगो।’ इसके बाद किसानों में बैठे एक शख्स की ओर इशारा करते हुए बोले- ‘जीवन भाई, मैं तो तुम्हारो पहचानो ही नहीं। वो तो जीतू ने बताया बंशी भैया के, मैने पहचानिए ही नहीं। इनका बालों के अंदर भी खेती आईगी।’

‘कैलाश भैया, धनतेरस पर गाड़ी लेना है’, तो मैं कहूं- ‘चिंता मत कर, तेरे को दिला दूंगा’

इसके बाद विजयवर्गीय ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा- ‘अब जो भी नई गाड़ी आ री है, किसान खरीद रहो है। पहले ऑटोमोबाइल वाले उद्योगपतियों को बुलाते थे, अब किसान भाइयों को बुलाकर गाड़ी लॉन्च करते हैं। आजकल मेरे पास फोन आते हैं- बोले, ‘कैलाश भैया, धनतेरस पर गाड़ी लेना है’, तो मैं कहूं- ‘चिंता मत कर, तेरे को दिला दूंगा।’

असली भावांतर योजना

विजयवर्गीय ने आगे कहा- ‘अगर किसी किसान का सोयाबीन तीन हजार में बिकेगो, तो मोहन सरकार उसके खाते में दो हजार 28 रुपए डालेगी। कोई किसान भाई नुकसान में नहीं रहेगा, ये है असली भावांतर योजना।’

इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि पहले कांग्रेस ब्याज पर किसानों से 18 प्रतिशत वसूलती थी, अब भाजपा सरकार ने ब्याज खत्म कर दिया है। किसान अब बिना ब्याज के कर्ज ले रहो है और गाड़ी भी खरीद रहो है- ये है असली विकास

मंच पर केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर, सांसद कविता पाटीदार, और शंकर लालवानी सहित भाजपा के कई दिग्गज मौजूद थे। कार्यक्रम में विजयवर्गीय का मालवी ठसक वाला अंदाज और तीखे तंज सुनकर किसान भी ठहाके लगा रहे थे, और नेता तालियां बजाते नहीं थक रहे थे।

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