प्रमोद कुमार /कैमूर। राज्य और केंद्र सरकार जहां स्वास्थ्य सेवाओं के सशक्तीकरण पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं, वहीं कैमूर जिले के रामपुर प्रखंड अंतर्गत मईडाण खुर्द गांव स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र की हालत वेंटिलेटर पर चल रहे मरीज जैसी हो चुकी है। जर्जर भवन में वर्षों से कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी और आने वाले मरीज हर दिन हादसे की आशंका के बीच इलाज और दवा लेने आते हैं।

कभी भी हो सकता है हादसा

स्थानीय ग्रामीण मनु राम ने बताया कि यह भवन लगभग 20 वर्ष पूर्व बना था, जिसमें तीन कमरे हैं। लेकिन अब इसकी छत से प्लास्टर झड़कर गिरता है, सरिया तक दिखने लगा है और दीवारों में गहरी दरारें पड़ चुकी हैं। कई बार छत का प्लास्टर गिरने से मरीज और स्वास्थ्यकर्मी बाल-बाल बचे हैं।

असुरक्षा का माहौल

स्वास्थ्यकर्मी बबीता कुमारी बताती हैं कि तीन में से दो कमरे बिल्कुल बेकार हो चुके हैं, बारिश में छत से पानी टपकता है जिससे दवाइयां भी भीगकर खराब हो जाती हैं। एकमात्र बचा कमरा अब दवाओं को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग में है, जबकि मरीजों को बरामदे में बैठाकर इलाज और दवा दी जाती है। स्थिति ऐसी है कि दिनभर भय और असुरक्षा का माहौल बना रहता है।

कोई ठोस पहल नहीं हुई

गंभीर लापरवाही की मिसाल बन चुके इस केंद्र को लेकर अब तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हुई है। ग्रामीणों की मांग है कि यहां नई बिल्डिंग का निर्माण जल्द हो, ताकि इलाज के लिए आने वाले लोगों की जान खतरे में न पड़ी रहे।

कब मिलेगा भवन

इस मामले में कैमूर के सिविल सर्जन डॉ. चन्द्रश्वरी रजक ने माना कि भवन जर्जर हो चुका है। उन्होंने बताया कि विभाग को पत्र भेजा गया है और जल्द ही नई जगह चिन्हित कर भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

विभाग हादसे का इंतजार कर रहा है?

अब सवाल उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? अधिकारी कभी निरीक्षण करने क्यों नहीं आते? आखिर इतनी बड़ी लापरवाही की जिम्मेदारी किसकी है? इन सवालों का जवाब जनता को चाहिए।