Kalashtami 2024 : हिंदू धर्म में कालाष्टमी पर्व का बेहद महत्व माना जाता है. कालाष्टमी हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप भगवान भैरव की पूजा की जाती है. ज्येष्ठ माह में कालाष्टमी का व्रत 30 मई को रखा जाएगा. कालाष्टमी पर व्रत रखने और काल भैरव की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं. पुराणों में वर्णन है कि कालाष्टमी के दिन दा करने से पापों का नाश और ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिलती है. काल भैरव की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
कालाष्टमी पूजा मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 30 मई को सुबह 10 बजकर 13 मिनट पर हो रही है. जिसका समापन 31 मई को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर होगा. कालाष्टमी के दिन निशिता मुहूर्त में काल भैरव की पूजा की जाती है. ऐसे में 30 मई, 2024 दिन गुरुवार को कालाष्टमी व्रत रखा जाएगा.
क्यों मनाई जाती है कालाष्टमी?
भगवान काल भैरव को रक्षा, विनाश और परिवर्तन का देवता माना जाता है. कालाष्टमी पूजा करने से भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे भक्तों को नकारात्मक शक्तियों से रक्षा मिलती है. अन्याय और बुराईयों से मुक्ति मिलती है. जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है. भय और चिंता से मुक्ति मिलती है. आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति प्राप्त होती है. ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. भक्त अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए भी कालाष्टमी पूजा करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कालाष्टमी पूजा करने से ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिलती है. इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से रोगों से भी मुक्ति मिलती है और इस दिन किए गए व्रत और स्नान से व्यक्ति स्वस्थ और निरोगी रहता है.
कालाष्टमी पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. फिर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा स्थल को साफ कर सजाएं. फिर अपने घर के मंदिर में भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. फिर पंचामृत से काल भैरव का अभिषेक करें. दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं. भगवान काल भैरव को फूल, फल, मिठाई, पान और सुपारी अर्पित करें. भगवान काल भैरव से अपनी मनोकामना बोलें. फिर आरती करें. व्रत कथा पढ़ें. उसके बाद प्रसाद वितरित करें. व्रती अगले दिन अपना व्रत खोलें. जरूरतमंदों को दान करें, उन्हें भोजन खिलाएं.
कालाष्टमी के दिन इन मंत्रों का करें जाप
- ओम भयहरणं च भैरव:
- ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
- ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा
- ॐ कालभैरवाय नमः
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक