Kalashtami 2025: भगवान काल भैरव शिवजी के रौद्र रूप माने जाते हैं, जो समय, न्याय और तंत्र के अधिपति हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि भैरव की आराधना से व्यक्ति को अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है और जीवन में स्थिरता तथा साहस की वृद्धि होती है. विशेष रूप से कालाष्टमी के दिन भैरव पूजन का अत्यंत महत्व होता है.
कालाष्टमी व्रत भगवान काल भैरव को समर्पित एक विशेष व्रत है, जो हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह व्रत 20 अप्रैल को रखा जाएगा. कालाष्टमी व्रत के दिन काल भैरव की पूजा का मुहूर्त रात में 11 बजकर 58 मिनट से देर रात 12 बजकर 42 मिनट तक है. निशिता मुहूर्त में काल भैरव की पूजा और मंत्र जाप किया जाता है.
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कालाष्टमी व्रत क्यों करना चाहिए? (Kalashtami 2025)
- भगवान भैरव की कृपा प्राप्ति के लिए – काल भैरव को शिव का रौद्र रूप माना जाता है. वे समय और मृत्यु के देवता हैं, इसलिए उनका पूजन भय, रोग और शत्रु बाधा से मुक्ति दिलाता है.
- नकारात्मक शक्तियों से रक्षा – माना जाता है कि इस दिन भैरव पूजा करने से तांत्रिक प्रभाव, बुरी नजर, और दुर्गुणों से रक्षा होती है.
- आत्मिक शुद्धि और आत्मविश्वास में वृद्धि – व्रत और पूजा से मन एकाग्र होता है और आत्मबल बढ़ता है.
- विवाद, कोर्ट केस या शत्रुओं से मुक्ति – भैरव जी को न्यायप्रिय देवता माना जाता है, इनसे शरण लेने पर व्यक्ति को न्याय और सुरक्षा मिलती है.
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