भगवान महादेव के उग्र और न्याय रक्षक रूप भैरव की उपासना का दिन मासिक कालाष्टमी इस बार 11 दिसंबर को मनाई जाएगी. भैरव को काल अर्थात समय, मृत्यु, अन्याय और बाधाओं का नाश करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है. इस दिन कालाष्टमी का व्रत रखने से दुर्घटना, दुश्मन बाधा, भय, नकारात्मक शक्तियों का डर खत्म होता है.

पूजा का मुहूर्त, विधि
कालाष्टमी के दिन भक्त को व्रत रखना चाहिए, और भैरव मंदिरों में दर्शन करने के बाद रात के समय भैरव कीर्तन करना चाहिए. साधारण शिव पूजा के विपरीत भैरव उपासना में कुछ विशिष्ट तत्व होते हैं. काल भैरव की आराधना में काला तिल, सरसों का तेल, उड़द, नीबू और काले वस्त्र अर्पित किया जताई है. भैरव को कुत्ते का साथ अत्यंत प्रिय माना जाता है. इसीलिए इस दिन काले कुत्तों को विशेष रूप से भोजन करना चाहिए. तांत्रिक साधना में कालाष्टमी का विशेष महत्व होता है. इस बार रात्रि प्रहार का श्रेष्ठ मुहूर्त रात 9.30 बजे से है. जो विशेष फलदाई बताया गया है.
ग्रंथो में वर्णन
कालाष्टमी को लेकर शिव पुरान और तंत्र ग्रंथो में भी वर्णन मिलता है. जब भगवान शिव अपने उग्र न्याय स्वरूप भैरव रूप को संसार की बाधाओं को संतुलित करते हैं. यही कारण है कि लोग इसे सुरक्षा स्थिरता के साथ साहस बढ़ाने वाला पर्व मानते है.
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