भोपाल. लंबे इंतजार के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लग गई है. गुरुवार रात को विधायकों की बैठक में कमलनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया. बैठक में पर्यवेक्षक एके एंटनी, प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे. कमलनाथ शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे राज्यपाल से मिलेंगे फिर उसके बाद शपथ ग्रहण की तारीख तय की जाएगी.

विधायक दल की बैठक में एके एंटनी ने विधायकों को आलाकान का पत्र पढ़कर सुनाया. इसके बाद कमलनाथ के नाम पर एक राय बन गई. विधायक दल के नेता चुने जाने पर कमलनाथ ने कहा कि 13 तारीख को इंदिरा गांधी ने मुझे छिंदवाड़ा की जनता को सौंपा था, मैंने बिना फल की इच्छा किए बिना पार्टी की सेवा की है. मुझे पद की कोई भूख नहीं. मैने बिना मांग के कांग्रेस पार्टी के लिए काम किया. मैंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी और माधवराव सिंधिया के साथ काम किया. अब राहुल गांधी के साथ काम कर रहा हूं. ये पद मेरे लिए मील का पत्थर है, उन्होंने समर्थन के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को धन्यवाद दिया. उन्होंने आने वाले समय में जनता के लिए किए घोषणा पत्र को लागू करने की बात कही. मध्यप्रदेश का भविष्य सुरक्षित रहेगा. जो विश्वास मध्यप्रदेश की जनता ने किया वो विश्वास पर मैं कायम रहूंगा. कमलनाथ ने शपथ ग्रहण के सवाल पर कहा कि शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे राज्यपाल से मिलूंगा.

आपको बता दें कि कमलनाथ अभी छिंदवाड़ा से सांसद हैं. यहां से वे 9 बार सांसद चुने गए. दिल्ली में गुरुवार शाम को राहुल गांधी के साथ कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बैठक की. ऐसी चर्चा है कि बैठक में ही कमलनाथ के नाम पर एक राय बन गई. इसके बाद दोनों नेता दिल्ली से भोपाल के लिए रवाना हुए. भोपाल में विधायकों की बैठक में कमलनाथ के नाम पर सहमति बन गई.

मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम को लेकर दिनभर चर्चा चलती रही. बैठकें होती रही लेकिन एक राय नहीं बन पाई. इस बीच समर्थक नारेबाजी करते रहे. लेकिन राहुल गांधी के साथ बैठक में काफी मशक्कत के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लग पाई.