धनराज गवली, शाजापुर। शाजापुर में सोमवार को 271 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक कंस वधोत्सव की परंपरा का निर्वहन किया गया। रात करीब 9:00 बजे बालवीर हनुमान मंदिर से देव और दानवों का रूप धरे कलाकारों का चल समारोह निकाला गया। पूरे रास्ते राक्षस बने कलाकार अट्टाहास करते हुए अपने-अपने रथ पर सवार थे, वहीं भगवान श्रीकृष्ण, बलराम, धनसुख, मनसुखा बने कलाकार अपनी मुस्कुराहट से लोगों का मन मोह रहे थे।
दो स्थानों पर देव-दानवों के बीच वाक्युद्ध
इस बार कंस वधोत्सव पर नगर में दो स्थानों पर देव-दानवों के बीच वाक्युद्ध हुआ। इसमें आजाद चौक और सोमवारिया बाजार शामिल है। जिसके संवाद कुछ इस तरह थे, अरे कन्हैया सुन…करते हैं लूट मार हम सिपाही कंस के…करते हैं भ्रष्टाचार हम सिपाही कंस के…खा जाएंगे तुझे कच्चा और डकार तक नहीं लेंगे…ऐसे खतरनाक हैं हम सिपाही कंस के…। अरे मामा…ग्वालों के पीछे कितने ही लगा दिया जाए जोर, किंतु तुझसे ना मारा जाएगा ये माखन चोर। अरे कन्हैया… अब तक तो सोया था मखमल के गदेलों पर…पल भर में तुझे कर दूंगा मिट्टी के ठेलों पर। अरे ओ मामा…हम काल पुरुष है शत्रुंजयी, है काल हमारे हाथों में, अंत तेरा आ गया है अब मत उलझा बातों में। अरे कान्हा…जब हम हमला करेंगे तो सितारे टूट जाएंगे जमीन पर जलजला होगा…रहेगा नाम सिर्फ ‘चाणूर’ का बाकि सब फना होगा। अरे मामाजी…मनमोहन नाम है मेरा, चितचोर भी कहलाता हूं, तलवारों की बातें करते हों, मैं नजर से मार गिराता हूं।
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ये उस वाक्युद्ध के अंश है जो सोमवार रात को नगर की सडक़ों पर भगवान श्रीकृष्ण और कंस के दरबारियों के बीच हुआ। चल समारोह बालवीर मंदिर से शुरू हुआ चल समारोह सोमवारिया बाजार, मगरिया, बस स्टैंड, नई सडक़, आजाद चौक होते हुए कंस चौराहा पर पहुंचा। कंस वधोत्सव समिति संयोजक तुलसीराम भावसार, समिति के पदाधिकारी अजय उदासी और संजय शर्मा आदि ने कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत किया।
रात 12 बजे गवली समाज लोगों ने लाठियों से पीटकर किया वध
नगर में चल समारोह के पश्चात रात करीब 11.45 बजे कंस चौराहा पहुंचे गवली समाज जनों का कंस वधोत्सव समिति द्वारा स्वागत किया गया। इसके बाद श्रीकृष्ण बने कलाकार ने कंस के पुतले का पूजन कर मंच से नीचे पटक दिया। जिसे गवली समाज के लोग लाठी-डंडे से पीटते हुए अपने साथ ले गए। कार्यक्रम के पहले रात को पुलिस ने कंस चौराहा पहुंचकर और समिति संयोजक सहित अन्य से पूरे कार्यक्रम की जानकारी ली। कंस वधोत्सव कार्यक्रम में कंस की सेना में मुख्य रूप से शांतिलाल जैन, दिनेश मालवीय, अभय देवतवाल, विशाल देवतवाल, सुनील बाबा, सतीश शर्मा, नवीन वशिष्ठ, अशोक मालवीय शामिल रहे। इन्होंने देवताओं से संवाद किया। जिनका जवाब देने के लिए देवताओं की टोली में भगवान श्रीकृष्ण के रूप में ऋषभ भट्ट, बलराम के रूप में राजकुमार पांडे, सहित कुश सोनी, ऋषिकेश एवं अन्य मंडली के रूप में कलाकार उपस्थित थे।
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