Kapil Sibal on Justice Yashwant Verma: सरकारी आवास पर जला हुआ कैश मिलने के मामले में फंसे दिल्‍ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सरकार संसद में महाभियोग चलाने की तैयारी कर रही है। लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने मंगलवार को ऐलान किया की वह इसका विरोध करेंगे। उनका कहना है कि ऐसा करना असंसदीय है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ है। उन्होंने मामले को लेकर उपराष्ट्रपति और उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सिब्बल ने सवाल पूछा कि जगदीप धनखड़ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के नोटिस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।

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सिब्बल ने उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जज को बचाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि उन्होंने पिछले साल सांप्रदायिक बयान दिया था। बता दें कि, जस्टिस शेखर ने एक कार्यक्रम में मुसलमानों को कठमुल्ला कह दिया था। जिसके बाद भारी बवाल हुआ था।

सिब्बल ने कहा कि पूरे मामले में ‘‘पक्षपात’’ की बू आती है क्योंकि एक तरफ राज्यसभा के महासचिव ने भारत के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कहा कि यादव के खिलाफ आंतरिक जांच को आगे न बढ़ाएं क्योंकि राज्‍यसभा में उनके खिलाफ एक याचिका लंबित है, जबकि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के मामले में उन्होंने ऐसा नहीं किया।

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‘यह एक खतरनाक परंपरा’

उन्‍होंने कहा कि हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की कोशिश अगर इन-हाउस जांच रिपोर्ट के आधार पर की जाती है, तो यह संविधान के खिलाफ होगा और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा हमला माना जाएगा। दरअसल, यह विवाद तब और गहरा गया जब केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सभी राजनीतिक दलों के साथ मिलकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह किसी राजनीतिक साजिश का मामला नहीं है, बल्कि न्यायपालिका में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा गंभीर विषय है। ऐसे में इसपर संसद को एकजुट होकर निर्णय लेना चाहिए। कपिल सिब्बल ने इस पूरे घटनाक्रम को एक “खतरनाक परंपरा” करार देते हुए कहा कि हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि अगर इन-हाउस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई हुई तो वह संविधान का उल्लंघन होगा। यह न्यायपालिका को नियंत्रित करने का अप्रत्यक्ष तरीका होगा।”

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‘राज्‍यसभा चेयरमैन ने नहीं सुनी विपक्ष की बात’

सिब्बल ने साथ ही यह भी आरोप लगाया कि राज्यसभा के चेयरमैन के खिलाफ विपक्ष की ओर से दिसंबर 2024 में जो महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था उस पर छह महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि 55 सांसदों के हस्ताक्षर आज भी मौजूद हैं। छह महीने बीत गए हैं, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया है। या तो कोई कदम नहीं उठाया जाएगा या फिर 5-6 हस्ताक्षरों को अमान्य घोषित कर प्रस्ताव को खारिज कर दिया जाएगा।” दूसरी ओर, रिजिजू का कहना है कि सभी दलों से बातचीत में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। उन्होंने कहा कि जब बात भ्रष्टाचार की हो और वो भी न्यायपालिका में तो उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

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साइन वैरिफाई करने में 6 महीने लगते हैं?

उन्होंने ने कहा, ‘मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं जो संवैधानिक पदों पर बैठे हैं, उनकी जिम्मेदारी सिर्फ यह वैरिफाई करना है कि साइन हैं या नहीं, क्या इसमें छह महीने लगने चाहिए? एक और सवाल यह उठता है कि क्या यह सरकार शेखर यादव को बचाने की कोशिश कर रही है।’ उन्होंने कहा कि VHP के निर्देश पर शेखर यादव ने हाई कोर्ट परिसर में भड़काऊ भाषण दिया था और फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में आया जिसने कार्रवाई की।

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