कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने महिलाओं के ‘माहवारी’ पीड़ा को समझते हुए बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने मासिक धर्म अवकाश नीति 2025 को मंजूरी दे दी है। इस नीति के तहत सरकारी, निजी और उद्योगों में कार्यरत सभी महिलाओं को हर महीने 1 यानी साल में 12 अवकाश मिल सकेंगे। नीति को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता वाली राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। मासिक धर्म अवकाश लेने पर महिलाओं का कोई वेतन नहीं काटा जाएगा।
18 सदस्यीय समिति ने की थी सिफारिश
सरकार ने यह निर्णय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी की विधि विभाग प्रमुख सपना एस की अध्यक्षता वाली 18 सदस्यीय समिति की सिफारिश पर लिया है। समिति ने मासिक धर्म के दौरान होने वाले शारीरिक बदलावों, चुनौतियों और आराम की ज़रूरत पर ध्यान दिया था। श्रम मंत्री संतोष लाड ने नीति की घोषणा करते हुए बताया कि विधि विभाग और बाकी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी दे दी है। इस फैसले से महिला स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
भारत के किन-किन राज्यों में लागू है अवकाश?
गौरतलब है कि बिहार, ओडिशा और केरल ऐसे राज्य हैं, जहां वर्तमान में मासिक धर्म अवकाश नीति लागू है। बिहार में 1992 से महिलाओं को हर महीने 2 दिन का सवेतन अवकाश और केरल में 2023 से कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्राओं को मासिक धर्म अवकाश मिलता है। वहीं ओडिशा ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस से 1 दिन का सवेतन मासिक धर्म अवकाश शुरू किया है। इसके अलावा जोमैटो और लॉर्सन एंड ट्रुबो (L&T) भी अवकाश दे रही हैं। इस पर कोई राष्ट्रीय कानून नहीं है।
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