कर्नाटक विधानसभा ने गुरुवार को हेट स्पीच से जुड़ा विधेयक पास कर दिया। इस दौरान विधानसभा में BJP विधायकों ने जोरदार विरोध किया। यह बिल 4 दिसंबर को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद 10 दिसंबर को गृह मंत्री जी परमेश्वर ने सदन में पेश किया था। गृह मंत्री ने बताया कि बिल में पहले दोहराए गए अपराध पर 10 साल की सजा का प्रावधान था, जिसे घटाकर अब 7 साल कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि यह कानून समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए जरूरी है।
क्या है हेट स्पीच की परिभाषा?
इस बिल में हेट स्पीच को किसी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ चोट पहुंचाने, समाज में असामंजस्य पैदा करने या नफरत फैलाने के इरादे से दिया गया कोई भी बयान बताया गया है। इसमें 11 आधारों पर भेदभाव, हेट स्पीच या अपराध को परिभाषित किया गया है, जिसका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा करना है।बिल के अनुसार, हेट क्राइम को हेट स्पीच के कम्युनिकेशन के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें ऐसी सामग्री का निर्माण, प्रकाशन, प्रसार या किसी भी रूप में प्रचार, उकसावे और बढ़ावा देना शामिल है, जिससे समाज में वैमनस्य या घृणा फैलने की आशंका हो।
बिल में कम्युनिकेशन का अर्थ सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया गया कोई भी एक्सप्रेशन बताया गया है, चाहे वह मौखिक हो, प्रिंट या प्रकाशन के माध्यम से हो, इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर हो या किसी अन्य तरीके से किया गया हो। इस कानून के तहत हेट स्पीच को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाया गया है। ऐसे मामलों की सुनवाई ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (JMFC) की अदालत में होगी। इसके अलावा, पीड़ितों को अपराध की गंभीरता के आधार पर मुआवजा देने का भी प्रावधान रखा गया है। नए कानून में भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 और आईटी एक्ट की परिभाषाएं लागू होंगी।
बिल में मजिस्ट्रेट के दिए गए ये अधिकार
बिल में शांति बनाए रखने के लिए निवारक कार्रवाई के अधिकार भी दिए गए हैं। इसके तहत एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, स्पेशल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट या डीएसपी रैंक और उससे ऊपर के पुलिस अधिकारी आवश्यक कदम उठा सकेंगे। इसके अलावा, किसी संगठन या संस्था की ओर से किए गए अपराधों के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। ऐसे मामलों में संबंधित समय पर जिम्मेदार व्यक्तियों को आरोपी माना जाएगा और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।
बिल के तहत एक नामित अधिकारी को यह अधिकार भी दिया गया है कि वह सर्विस प्रोवाइडर्स या बिचौलियों को अपने प्लेटफॉर्म से हेट क्राइम से जुड़ी सामग्री को ब्लॉक करने या हटाने का निर्देश दे सके। साथ ही, अदालतों को अपराध से हुई क्षति और उसके प्रभाव की गंभीरता के आधार पर पीड़ितों को उचित मुआवजा देने का अधिकार भी दिया गया है।
दोबारा अपराध करने पर मिलेगी ज्यादा सजा
प्रस्तावित कानून के तहत पहली बार अपराध करने पर कम से कम एक साल की जेल, जिसे सात सालों तक बढ़ाया जा सकता है और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। दोबारा अपराध करने पर न्यूनतम दो और अधिकतम दस साल तक की जेल और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। कानून के तहत अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे और इनकी सुनवाई न्यायिक मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास की ओर से की जाएगी।
बीजेपी ने किया बिल का विरोध
बीजेपी ने इस बिल को लेकर कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला है। बीजेपी का आरोप है कि यह बिल हिंदुओं की आवाज दबाने के उद्देश्य से लाया गया है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है।
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